उदयपुर। बलीचा स्थित ध्यानोदय क्षेत्र में आयोजित हो रहे गणिनी आर्यिका 105 सुप्रकामशमति माताजी के 52 वें 5 दिवसीय ज्योति महोत्सव के तीसरे दिन आज नागपुर से आये विधानाचार्य बाल ब्रह्मचारी पण्डित ऋषभ जैन ने आज माताजी के सानिध्य में शुक्र एवं शनि ग्रह पीड़ा निवारण के लिये मुनि सुव्रतनाथ भगवान की विशेष पूजा अर्चना करायी।
कार्यकारी अध्यक्ष ओमप्रकाश गोदावत एवं महामंत्री प्रकाश सिंघवी ने बताया कि भगवान महावीर के आठ तीर्थकरों की गुरू एवं शुक्र व शनि ग्रह पीड़ा दूर करने के लिये उक्त पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं द्वारा ग्रह पीड़ा दूर करने के लिये 21 कुण्ड में 3024 आहूतियंा दी गई। इस अवसर पर भोपाल के नितेश जैन द्वारा गुरू मां ससंघ की भक्ति की गईं।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए सुप्रकाशमति माताजी ने कहा कि वर्तमान में प्राणी अपमानित हो कर आत्महत्या कर लेता है। इसका कारण गुरू ग्रह का विपरीत होना है। इसी प्रकार पति-पत्नि में झगड़ा,भाई-भाई के बीच विवाद का कारण शुक्र ग्रह का दोष रहता है। इसके अलावा व्यापार में हानि,दुर्घटना का कारण शनिग्रह की पीड़ा होती है।
गुरू ग्रह के अधिष्ठाता भगवान महवीर सहित 8 तीर्थंकर है। इनकी विशेष पूजा अर्चना प्रतिदिन करने से पीड़ा दूर होती है। शुक्र ग्रह के अधिष्ठाता पुष्पदन्त भगवान और शनि ग्रह के अधिष्ठाता 1008 मुनि सुव्रतनाथ भगवान है। जैन धर्म वैज्ञानिक धर्म है। कर्म करने से ही फल की प्राप्ति होती है। किसी भी ग्रह की पीड़ा दूर करने के लिये नियमित नियम बनाने के सथ नियमित प्रभु भक्ति करनी होती है।