बेटा नहीं तो भी पिता भी चिंता नहीं करें, एक बेटी सब पर भारी
सौ लड़कियों की शिक्षा का खर्च उठा रहा नन्हीं कली संस्था
उदयपुर। हौसला बुलंद हो तो उम्र आड़े नहीं आती। कुछ ऐसी ही बात सिद्ध की है पंजाब मूल की मनाली निवासी 55 वर्षीया मोक्षा जेटली ने जिनका नाम इंटरनेशनल ट्यूर कंपनियों के लिए नया नहीं रहा। ट्यूर ऑपरेटर के नाम पर मोक्षा के पास देश-विदेशों से कॉल आती रहती हैं।
सेव गर्ल के उद्देश्य को लेकर लेह-लद्दाख से कन्याकुमारी तक की यात्रा करने बाइक पर निकली मोक्षा शनिवार को उदयपुर में थीं। उन्होंने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ देशवासियों को डाटर्स आर प्रीसियस का ध्येय वाक्य बताना है। बेटियां हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। अगर बेटा नहीं हो तो क्यों चिंता करें। मैं सिंगल मदर हूं। मेरी एक बिटिया है जो मनाली में पढ रही है। वे लेह-लद्दाख और स्फीति की बाइक पर कई बार यात्रा कर चुकी हैं।
गत 2 अक्टूबर को अपनी बेटी के जन्मदिन पर मनाली से निकली मोक्षा ने अपनी बेटी को श्रीनगर उतारा। 4500 किमी. की इस यात्रा को वे 18 अक्टूबर को पूरी करेंगी जो त्रिचूर में पूरी होगी। रविवार सुबह 6 बजे वे यहां से बडौदा के लिए निकलेगी। उनका मानना है कि औरतों का सोसायटी में महत्वपूर्ण रोल है। सोच बदलनी होगी तो ही जिंदगी बदलेगी और समाज बदलेगा। हमें सिर्फ एफर्ट करने होंगे। सभी एक साथ नहीं बदलेंगे लेकिन धीरे धीरे तो बदलाव आएगा। इंसान अपने बारें में नहीं सोचता कि क्या कर रहा है लेकिन कर्म तो अपने साथ जाएंगे। कर्म अच्छे करें ताकि लोग उनके जाने के बाद भी याद करें।
मोक्षा ने कहा कि प्रायोजक आज भी पहले यह पूछते हैं कि आपको प्रायोजित करने से हमें क्या मिलेगा सब जगह कुछ मिले ही, यह जरूरी नहीं। जिस समाज ने आपको इतना कुछ दिया है, उसमें से कुछ समाज के लिए भी निकालें। 2008 में हाइकोन इंडिया ने मुझे प्रायोजित किया। उस समय मुझे उन्होंने ये कहा कि हमने समाज को एनकरेज करने के लिए कुछ फण्ड निकाल रखा है।
महिन्द्रा का नन्हीं कली नामक एनजीओ चलता है जिसके जरिये उन्होंने 3 लाख रूपए फण्ड एकत्र किया। इसके माध्यम से सौ लडकियों की शिक्षा का खर्च उठाएंगे। ट्रेवलर्स के लिए उन्होंने यावो को सबसे बेस्ट मोबाइल एंड्राइड एप बताते हुए कहा कि इससे आप दुनिया को संदेश दे सकते हैं। भविष्य में वे एक बैटर सोसायटी चाहती हैं जो स्वार्थ से उपर उठकर काम करे। आज सफाईकर्मी से लेकर डॉक्टर तक सभी ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी छोड़ दी है जबकि समाज के लिये सभी जरूरी हैं। सभी एक-दूसरे से कनेक्टेड हैं, यह बात समझनी होगी। आज एक-दूसरे के पास जाने से भी डर लगने लगा है।