28 को आयड़ में होगा श्रीसिद्ध चक्रमण्डल विधान
उदयपुर। गणिनी आर्यिका 105 सुप्रकाशमति माताजी ने कहा कि मनुष्य को जीवन में हमेशा से लगता है कि उसे दुख प्राप्त हो रहा है लेकिन उसने यह कभी नहीं सोचा कि उसे दुख की अनुभूति पूर्व में प्राप्त हुए सुख के कारण हुई है।
वे आज से. 5 स्थित चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मन्दिर में आयोजित धर्मसभा को सबोधित कर रहे थे। दुख-सुख, जीवन-मरण, धूप-छांव, अमीर-गरीबी के दो पहलू होते है। उन्होंने कहा कि जीवन में विपरीत अनुभव होने पर मनुष्य घबरा जाता है। जो मनुष्य विपरीत परिस्थितियों को अपने काबू में कर लेता है वह महान बनता है। वह महावीर, बुद्ध और राम बन जाता है।
माताजी ने कहा कि प्रतिदिन जिनेन्द्रप्रभु के चरणों में आ कर 5 बार साष्टांग नमस्काीर करें। उनके सामने बैठकर प्रतिदिन किये गये कार्यों का अवलोकन करें और गलती होने पर प्रभु से क्षमयाचना करें। ऐसा करने पर आपका जीवन सुखमय होता चला जायेगा।
ओमप्रकाश गोदावत ने बताया कि 25 अक्टूबर तक माताजी का यहीं प्रवास रहेगा। जहां प्रतिदिन साढ़े आठ बजे प्रवचन होंगे। 26 अक्टूमबर केा आयड़ स्थित दिगम्बर चन्द्रप्रभु जैन मन्दिर में प्रवेश होगा, जहां 28 को श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान होगा।