बुद्धिजीवियों ने दी राय
उदयपुर। इस बार के केन्द्रीय बजट को बुद्धिजीवियों ने सर्वांगीण विकास बताया। इसमें गरीबों के उत्थादन के लिए स्वा स्य् ल , शिक्षा सम्बनधी योजनाओं की घोषणा को उचित बताया है।
उन्होंने कहा कि इसमें राष्ट्रीय स्वास्थ योजना के तहत प्रति निर्धन परिवार करीब पचास करोड़ जनता को पांच लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा देने की घोषणा एवं सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने का प्रस्ताव किया है, जो स्वागत योग्य है।
प्रत्यक्ष कर में दर पर बदलाव ना कर मध्यम वर्ग की आशाओं को धूमिल किया है। जहां एक तरफ वेतनभोगी कर्मचारियों को 40 हजार का स्टैंडर्ड डिडक्शन प्रदान किया है, वहीं उनकी आय में मिलने वाले परिवहन भत्ता की रूपये 19200 की एवं स्वस्थ्य पुनर्भरण की रूपये 15000 की छूट को वापस ले कर एवं स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर 3 प्रतिशत से बढाकर 4 प्रतिशत करने का प्रस्ताव कर उनकी आशाओं पर कुठाराघात किया है।
वित मंत्री ने बजट में कहा कि ट्रस्ट द्वारा अब दस हजार रूपये से ज्यादा नकद में खर्च किया जायगा तो किये गये नकद खर्च का 30 प्रतिशत अमान्य होगा, जिससे काले धन पर कुछ रोक लगेगी एवं शेयर्स पर 1 लाख से अधिक के दीर्घकालीन पूंजीलाभ पर 10 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव किया है। पेट्रोल एवं डीजल पर 2 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी कम कर अंत में मध्यम वर्ग को कुछ राहत प्रदान की है। कुल मिलाकर यह बजट मिलाजुला बजट है, परन्तु जो आशाएं मध्यम वर्ग इस बजट से लगाये हुए था उन्हें पूरा करने में सक्षम नहीं हो सका है।
कृषि संकाय पेसिफिक विश्वविद्यालय के डीन एवं चेयरमैन डॉ एस.आर. मालू ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मोदी सरकार ने अंततः यह स्वीकार कर लिया है कि कृषि ही भारतीय अर्थव्यवस्था की धुरी है और बिना किसान के कल्याण, युवा रोजगार व शिक्षा से देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर नहीं किया जा सकता है। वर्तमान बजट में इन्हीं बातों को ध्यान मंे रखकर विभिन्न कृषि योजनाओं की घोषणा की गई है।
बजट में किसानों की आय व न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने के लिए 10000 करोड रुपए की अन्नदाता योजना का समावेश किया है। अब से किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य दिलाने के लिए नीति आयोग अन्य संलग्न मंत्रालयों से मिलकर पुख्ता व्यवस्था करेगा। सभी रबी व खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन लागत का 1½ गुना करने का निर्णय एक सराहनीय कदम है। कुल मिलाकर यह बजट कृषि के लिए एक संतुलित व नयी जागृति लाने वाला बजट है। इससे कृषि की वृद्धि दर 2.1 प्रतिशत से ऊपर निकलेगी, विश्व बैंक द्वारा स्वीकृत राशि कृषि शिक्षा को अवश्य ही सुदृढ़ करेगी जिससे युवा वैज्ञानिक कृषि एवं जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का नवीन अनुसंधान तथा तकनीकों द्वारा समाधान कर पाएंगे।