कोठारी एवं जैन आचार्य भिक्षु प्रज्ञा सम्मान से सम्मानित
उदयपुर। आचार्य भिक्षु आलोक संस्थान केलवा द्वारा आज अशोकनगर स्थित विज्ञान समिति में आचार्य भिक्षु प्रज्ञा सम्मान एवं आचार्य भिक्षु व्याख्यानमाला कार्यक्रम आयोजित किया गया।
आचार्य भिक्षु व्याख्यानमाला में बोलते अमेरीका में जैनिज्म को बढ़ावा दे रहे भारतीय मूल के डाॅ. जगमोहन हूमर ने कहा कि अमेरीका में जैनिज्म पंथो में बटंा हुआ नहीं हो कर वहंा एक सूत्र में पिरोया हुआ है। वहंा दिगम्बर एवं श्वेताम्बर भगवान की मूर्तियों के दर्शन एक ही मंदिर में होते है, जो जैन सम्प्रदाय की एकता को दर्शाते है। उन्होेंने कहा कि अमेरीका के बड़ेे-बड़े केलिफोर्निया की 3 एवं लोयोला मेरीमाउण्ट विश्वविद्यालय में जैनिज्म को पढ़ाया जाता है। पिछले 30 वर्षो में जैनिज्म का अमेरीका में काफी प्रचार हुआ है।
डाॅ. हूमर ने बताया कि उत्तर अमेरीका में 64 से अधिक जैन मंदिर है जो अपनी भव्यता लिये हुए है। वहंा एक ऐसा 4 मंजिला विशाल मंदिर है जहंा पर हर एक तल पर अलग-अलग पंथ के भगवान की मूर्तियंा स्थापित की हुई है। अमेरीका में जैन सम्प्रदाय ने जैना नामक एक संगठन का किया गया है जिसके 70 संघ एवं डेढ़ लाख से अधिक सदस्य है। इस संगठन द्वारा प्रति दो वर्ष में एक सम्मेलन बुलाया जाता है जिसमें 5-7 हजार जैनी भाग लेते है। जैना ने जैन यंग आॅफ अमेरीका एवं जैन प्रोफेशनल आॅफ अमेरीका नमाक संगठनों का गठन किया गया है। जिसमें 14 वर्ष से लेकर 42 वर्ष तक के युवाओं को जोड़ा गया है। अमेरीका के ओटावा में प्रति रविवार जैन पाठशाला का आयोजन होता है। अमेरीका में प्रतिवर्ष भारतीय समुदाय द्वारा कलेण्डर निकाला जाता है जिसें देलवाड़ा एवं रणकपुर मंदिर की झांकियां देखने को मिलती है।
इन्हें मिला आचार्य भिक्षु प्रज्ञा सम्मान- आचार्य भिक्षु आलोक संस्थान केलवा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शहर के जैन विद्वान डाॅ. देव कोठारी एवं डाॅ. प्रेम सुमन जैन को आचार्य भिक्षु प्रज्ञा सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप प्रत्येक का तिलक लगाकर, माल्यार्पण, उपरना एवं शाॅल ओढ़ाकर,अभिनन्दन पत्र,साहित्य एवं पुरूस्कार स्वरूप नगद राशि भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर डाॅ. प्रेम सुमन जैन ने कहा कि आचार्य भिक्षु ने भारतीय मूल्यों को आगे बढ़ाने का कार्य किया, जो भारतीय साहित्य में देखने को मिलते है। भारतीय इतिहास में जैन धर्म की परम्परा का वर्णन सम्राट अशोक के कार्यकाल में भी देखने को मिलता है जब अशोक ने अपने शिलालेख में लिखा था कि प्राणी मात्र की हिंसा न करें, अपिरग्रह के रूप में कम से कम संग्रह एंव कम से कम व्यय करें और यही जीवन की साधुता है। समाट अशोक ने सबसे पहले अपने कार्यकाल में उच्च पदों पर महिलाआंे की नियुक्ति की थी।
डाॅ. देव कोठारी ने कहा कि जैन धर्म की प्राचीनता को हम भूलते जा रहे है,जिससे हम दुखी है। जैन धर्म का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है। कुरान में भी जैन धर्म का उल्लेख मिलता है।
काव्य संगह एवं पत्रिका का हुआ लोकार्पण- कार्यक्रम में समारोह की पत्रिका श्रद्धा के 51 वें संस्करण एवं विज्ञान समिति के अध्यक्ष डाॅ. के.एल.कोठारी द्वारा लिखित काव्य संग्रह चन्दन से वंदन की ओर का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया। सोहनलाल तातेड़ ने बताया कि इस पुस्तक में तेरापंथ जैन धर्म एवं आध्यात्मिक पृष्ठ भूमि का उल्लेख किया गया है। प्रारम्भ में संस्थान के अध्यक्ष महेन्द्र कोठारी ने अतिथियों का स्वागत किया गया। संस्थान के संस्थापक डाॅ. के.एल.कोठारी ने आयोजन के बारें में जानकारी दी। अंत में संस्थान सचिव दिनेश कोठारी ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में बसन्तीलाल बाबेल, डा. यशवन्तसिंह कोठारी, अरूण कोठारी, पराग कोठारी, प्रकाश तातेड़, केपी तलेसरा सहित अनेक सदस्य एवं गणमान्य नागरिक मौजूद थे। समारोह में सेवा सहयोगियों को भी सम्मानित किया गया।