तीन दिवसीय जिन बिम्ब प्रतिष्ठा समारोह
उदयपुर। अन्तर्मना प्रसन्न सागर महाराज ने कहा कि संसार का सबसे बड़ा पद दिगम्बरत्व जैन मुनि पद ही है। इसके सामनें चक्रवर्ती महाराज, राष्ट्राध्यक्ष, प्रधानमंत्री सभी नतमस्तक होते है।
वे आज सर्वऋतुविलास स्थित दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित तीन दिवसीय जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे एवं अंतिम दिन आयोजित धर्मासभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अना जन्म सुधारना हो तो एक बार अयोध्या एवं मरण सुधारना हो तो एक बार सम्मेदशिखर की यात्रा अवश्य करनी चाहिये। ये दोनों स्थान पावन एवं पवित्र है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने कल्याण हेतु किसी दीक्षार्थी की दीक्षा एवं किसी संलेखनारत साधु की समाधि अवश्य देखनी चाहिये। हम प्रत्येक समय पापों का आस्रव करते रहते है। इनके प्रक्षालन हेतु विधना, पूजन एवं प्रभु भक्ति ही एक मात्र उपाय है।
जीवन में कभी भी किसी भी समय कितना भी दुख आयें लेकिन उस समय भी प्रभु की भक्ति को नहीे छोड़ना चाहिये। कष्ट आने पर भोजन,बीमार होने पर श्वांस लेना नहीं छोड़ सकते है तो जरा सी तकलीफ आने पर प्रभु की भक्ति को कैस छोड़ सकते है। जीवन में भजन एवं भोजन को कभी नहीं त्यागना चाहिये क्योंकि भोजन छोड़ दोगे तो जीवित नहीें रहोगे ओर भजन छोड़ दोगे ते कहीं के नहीं रहांेगे। सही मायने में भजन ही भोजन है।