’आचार्य महाश्रमण जी का 45 दीक्षा दिवस युवा दिवस’
उदयपुर। आचार्य महाश्रमण के विचार संप्रदायवाद से ऊपर उठकर जन-जन के लिए कल्याणकारी है। कठोर पुरुषार्थी आचार्य महाश्रमण व्यक्ति नहीं बल्कि एक दर्शन है। उनका व्यक्तित्व सत्यम-शिवम्-सुंदरम की अभिव्यक्ति है। 45 हजार से अधिक किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए अपनी अध्यात्म रश्मियों से न केवल तेरापंथ धर्मसंघ के साधु-साध्वी अपितु तेरापंथ के श्रावक-श्राविकाएं और जैन जैनेतर समाज भी इस करुणामय व्यक्तित्व का कायल है।
ये विचार रविवार सुबह महाप्रज्ञ विहार में तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाश्रमण के 45 वें दीक्षा दिवस पर तेरापंथ युवक परिषद की ओर से तेरापंथी सभा और महिला मंडल के साझे में आयोजित युवा दिवस के अवसर पर विभिन्न वक्ताओं ने व्यक्त किए। इससे पूर्व महिला अहिंसा प्रशिक्षण केन्द्र से संस्कार रैली भी निकाली गई जो महाप्रज्ञ विहार पहुंची।
शासन श्री साध्वी गुणमाला ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में सन् 2014 में चातुर्मास संपन्न कर लाल किले की प्राचीर से अहिंसा यात्रा का शंखनाद त्रिआयामी उद्देश्य नैतिकता, सदभावना एवं व्यसनमुक्ति को जन-जन तक पहुंचाने के लिए किया। विदेश की धरती पर पदयात्रा करते हुए चातुर्मास करने वाले प्रथम आचार्य बने नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, आसाम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा आदि राज्यों से गुजरते हुए वर्तमान में दक्षिणांचल की यात्रा पर है। अगला चातुर्मास चेन्नई उसके बाद बेंगलुरु व हैदराबाद में प्रस्तावित है। साध्वी प्रेक्षाप्रभा, साध्वी लब्धिप्रभा, साध्वी नव्याप्रभा ने भी अपने उदबोधन दिए और गीतिका प्रस्तुत की।
तेरापंथी सभा के उपाध्यक्ष सुबोध दुग्गड़ ने कहा कि आचार्य महाश्रमण का जन्म 13 मई 1962 को राजस्थान के सरदारशहर, चुरू में झूमर मल जी दुगड़ के घर आंगन एवं नेमा जी की कुक्षी से हुआ, मात्र 12 वर्ष की उम्र में 5 मई 1974 को सरदार शहर में ही संयम जीवन स्वीकार करते हुए जैन भागवती दीक्षा ग्रहण की। 23 मई 2010 को प्रेक्षा प्रणेता आचार्य महाप्रज्ञ के महाप्रयाण के बाद तेरापंथ के विशाल संघ के ग्यारहवें पथधर के रूप में सुशोभित किए गए।
महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य धीरेन्द्र मेहता ने महाश्रमण के व्यक्तित्व के बारे में कहा कि उम्र से युवा चिंतन से प्रौढ़ प्रकृति से कोमल ह्रदय से वीतराग तेरापंथ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण का व्यक्तित्व आकर्षक और प्रभावी है मंझला कद, गौर वर्ण, प्रशस्त ललाट, तीक्ष्ण नासिका करुणामय नयन, तेजस्वी मुखमंडल उनके बाहय व्यक्तित्व की पहचान है निर्लिप्तता, निर्विकार तथा निरहंकारिता और निश्चलता आप के आंतरिक व्यक्तित्व में झलकती है।
युवक परिषद के मंत्री कमलेश परमार ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सेवा संस्कार और संगठन की त्रियामी उद्देश्यों को लेकर युवाओं का सशक्त संगठन अपनी 350 से अधिक शाखाओं के माध्यम से आचार्य महाश्रमण के 45 वें दीक्षा दिवस को युवा दिवस के रूप में आयोजित कर सेवा रूपी कार्यों में समर्पित है। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद ने पूर्व में 1 दिन में 125000 से अधिक यूनिट रक्तदान कर गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया वहीं 2017 में एक ही दिन में एक समय पर एक प्रहर में 1.4 करोड़ से अधिक नमस्कार महामंत्र का जाप अनुष्ठान कर गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड में विश्व रिकॉर्ड बना दर्ज कराया। देशभर के विभिन्न 32 शहरों में आचार्य श्री तुलसी डायग्नोस्टिक सेंटर के माध्यम से मानव सेवा का कार्य कर रहे हैं। उदयपुर में एक वर्ष से सफलतापूर्वक डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित हो रहा है।
आरंभ में युवक परिषद के युवा साथियों ने मंगल गीत से युवा दिवस के कार्यक्रम का आगाज किया। तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष अरुण मेहता ने स्वागत उदबोधन दिया। कार्यक्रम में दीपक सिंघवी, तेयुप उपाध्यक्ष अजित छाजेड़, प्रणव कोठारी, योगेन्द्र धाकड़ आदि ने भी सहयोग दिया।