दूसरों के साथ छल करने पर एक दिन वही छल तुम्हारे साथ होगा : शिव मुनि
उदयपुर। श्रमणसंघीय आचार्य डाॅ. शिवमुनि महाराज ने कहा कि कतनी जिंदगी गुजर गई है और कितने साल और जीना है जीवन में कितना छल-छादम करते है, जो तुम दूसरांे के साथ करते हो एक दिन समय घुमेगा तो वही तुम्हारे साथ होगा।
वे आज सुभाष नगर स्थित स्थानक में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य सुख,शंाति एवं आनन्द प्राप्त करने की जगह ढूढंना है लेकिन वह नहीं मिलती है। उसे इन सभी की खोज के लिये से जगह को ढूंढना चाहिये।
हमें प्रभु महावीर की आत्मदृष्टि मिली है। उन्होंने साढ़े बारह वर्ष की कठोर तप साधना के बाद जो अमृत पाया उसका झरना आगम वाणी के रूप में हमारंे पास बह रहा है लेकिन हम उसमें नहा नहीं पा रहे है। हमारी आत्मा के उपर आठ कर्म का लेप लगा है। क्या कभी आपके मन में इन आठ कर्मों को दूर करने की इच्छा हुई है।
उन्होंने कहा कि यह संसार अध्रुव, अशाश्वत है और दुःख बहुल है। ऐसे इस संसार में रहते हुए मनुष्य कौनसा ऐसा कर्म करें की जिससे दुर्गति में न जाएं। आपका यह शरीर कितने दिन साथ देता है। आधि-व्याधि और उपाधि से भरे इस संसार में सुख कहां है। उसे ढूंएने के लिये तपस्या करनी पड़ती है। तुम देह को जितना सुकुमाल बनाओगें उतना ही दुःखी होगें। भगवन ने शरीर को सुकुमाल नहीं बनाया।
आचार्य ने कहा कि संत कबीर कहते है कि हाड़ जले सो लाकड़ी, यह तन जब श्मशान की राख बन जाता है तो मनुष्य की हडियां लकड़ी की तरह जलती है। केश जिनको बड़े लाड़ से पाला शेम्पू, तेल लगाया यह केश घास की तरह जलती है। श्मशान में जब तक रहते है तब तक वैराग्य होता है। बाहर आते ही सब भूल जाते है। जब श्मशान में अर्थी को ले जाते है तो राम नाम सत्य हैं बोला जाता है। उस मरे हुए मनुष्य के लिए नहीं कहा जाता है जो साथ चल रहे है, उनके लिए है कि एक राम का नाम ही सच्चा है। समझों तुमनें इशारों को क्यों उलझा रखा है। संसार की उलझनों में कब तक रहना है। इस संसार में एक दिन में इस किराए के मकान को खाली करना है।
उन्होंने कहा कि जीवन में होश बहुत आवश्यक है। देह और आत्मा का अलग-अलग अस्तित्व है। कितना चाहिए इस शरीर को खाने-पीने और पहनने के लिए इस शरीर के भीतर एक शाश्वत आत्मा है, उसके लिए क्या कर रहे हो। कोई जगाने नहीं आएगा आपको स्वयं पुरूषार्थ करना होगा। संसार बढ़ाने के लिए कितनी दौड़ धूप करनी पड़़ती है। संसार में सब धोखा है, कोई आपको पूछता है तो उसके पीछे कोई न कोई स्वार्थ जरूर है। उसके बिना बेटा भी बाप से बात नहीं करता हैं। जितना ज्यादा धन उतने ही ज्यादा लोग दुःखी है। आसक्ति दुःख का कारण है। इस संसार में कुछ भी तुम्हारा नहीं है। यह देह भी तुम्हारी नहीं है तो बेटा तुम्हारा कैसे हो सकता है। सुभाष नगर वालों सुभाष बोस ने कहा था कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा और मैं कहता हूं तुम मुझे समय दो मैं तुम्हे शांति दूंगा।