उदयपुर। श्रमणसंघीय आचार्य सम्राट डाॅ. शिवमुनि महाराज ने कहा कि भारतीय सं स्कृति पश्चिम की संस्कृति के कारण विनाश के कंगार पर खड़ी है। छोटे-छोटे बच्चे मोबाईल लेकर खेलते रहते हैं। इससे मोबाईल का उपयोग कम दुरूपयोग ज्यादा हो रहा है। मोबाईल ने आज हमको अपनों से दूर कर दिया हैं।
मोबाईल से बीमारीयां भी बढ़ रही है। मोबाईल के कारण कितनी दुर्घटनाएं होती है, लोग बेमौत मर रहे है। मोबाईल के साथ इन्टरनेट मिल जाए तो फिर बच्चों को किसी की भी जरूरत नहीं है। वह अपने माँ-बाप तक को भी भूल जाता है। भारतीय संस्कृति को पतन की ओर ले जा रहा है आपका मोबाईल और इन्टरनेट समय रहते नहीं जागे तो बहुत बड़ी हानि होने वाली है।
वे आज आयड़ ऋषभ भवन में आयोजित धर्म सभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर स्वामी स्वयं सिद्ध गति को प्राप्त हो गए है और समस्त भावी जीवों को मोक्ष मार्ग का रास्ता दिखाते है। शरीर और आत्मा दो अलग-अलग तत्व है। चैबीस घण्टे आत्मा और शरीर साथ-साथ रहते है मगर कभी मुलाकात नहीं होती है, मुलाकात के लिए आपको अपने भीतर उतरना होगा। गौतम ने भगवान से जो पूछा वह आगम बन गये, अर्जुन ने भगवान कृष्ण को पुछा वह गीता बन गई। आप भी पूछे मेरी मुक्ति कैसे होगी।
आचार्यश्री ने कहा कि भगवान महावीर अपने शिष्य गौतम से कहते है गौतम तुम मुझसे भी मोह छोड़ दो। अन्तिम समय देवदत्त शर्मा को ब्राह्मण के पास भेज दिया, महावीर ने गौतम को वापस आते हुए रास्ते में ही पता चला की महावीर निर्वाण को प्राप्त हो गए। गौतम विलाप करने लगे, रोने लगे। लोगों ने कहाँ महावीर स्वामी ने कहा है। हे गौतम तुम किनारे खड़े हो, और कहते है उसी समय गौतम स्वामी को केवल ज्ञान हो।
आप भी अपने भीतर देखों कि आपकी आसक्ति, राग, मोह, राग कहंा है, भाव को कम करना है। राग और द्वेष कर्म बंधन के दो मार्ग है। मोह के कारण राग और द्वेष उत्पन्न होते है राग और द्वेष मुक्ति मार्ग के बाधक है।