एशियन वल्र्ड रिकार्ड की टीम रही मौजूद, 2268 जनों ने किया एक साथ ध्यान
उदयपुर। श्रमण संघ के सर्वोच्च पद पर बिराजमान आचार्य डाॅ. शिवमुनि के सानिध्य में शहर के जैन समाज ही नहीं वरन् विभिन्न समाजों के लोगांे ने एक साथ ध्यान शिविर में 2268 महिला-पुरूषों ने भाग लेकर अपने भीतर छिपी हर प्रकार की उर्जा को बाहर निकाला।
अवसर था श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ एवं शिवाचार्य चातुर्मास आयोजन समिति के संयुक्त तत्वावधान में आज महाप्रज्ञ विहार स्थित समवशरण स्थल पर आयोजित किये एक दिवसीय ध्यान शिविर का। जिसमें दो हजार से अधिक श्रावक-श्राविकाओं के भाग लेने का दावा किया गया लेकिन यह संख्या दावा से अधिक निकली। एक ही छत के नीचे एक ही आचार्य के सानिध्य में सात घंटे तक चले इस ध्यान शिविर में विभिन्न प्रकार के योग,प्राणायाम, हास्य योग सहित अनेक प्रकार की क्रियांए करायी गयी,जो अपने आप में एक रिकाॅर्ड था। इस शिविर का हजारों शिविरार्थियों ने पूर्ण आनद उठाया। इस ध्यान शिविर से बने रिकाॅर्ड का आंकलन करने इन्दौर से आने वाली एशियन वल्र्ड रिकाॅर्ड की टीम मौजूद थी।
ध्यान समिति के मुख्य संयोजक रमेश बोकड़िया एवं संयोजक नरेन्द्र सेठिया ने बताया कि ध्यान शिविर नियमित प्रवचन के तत्काल बाद प्रातः 10 से प्रारम्भ हुआ। जो सांय 5 बजे तक चला। इसके लिये प्रातः 8 बजे भी पंजीकरण किये गये। 2000 के दावे के पंजीकरण कल ही पूर्ण हो गये थे और प्रातः तत्काल पंजीकरण कराने श्रावक-श्राविकाएं उमड़ पड़े।
यह पहला मौका था जब आचार्यश्री के सानिध्य में जैन समाज के अलावा विभिन्न समाजों के लोग इस ध्यान शिविर में भाग ले कर विभिन्न यौगिक कियाओं के द्वारा अपनी आत्मा का कल्याण किया। भोजन व्यस्था समिति कन्हैयालाल मेहता, बसन्तीलाल कोठिफोड़ा,टीनू माण्डावत,पी.सी.कोठारी ने भोजन व्यवस्था संभाल रख थी। यातायात व्यवस्था संजय भण्डारी ने संभाले हुए थी। पाण्डाल व्यवस्था धर्मेश नवलखा एवं यातायात व्यवस्था संजय भण्डारी ने संभाले हुए थी।
शिविर में जहंा वितराग साधिका निशा जैन द्वारा ध्यान के एवं कर्मो की आलोचना के तो वहीं शिरीष मुनि ने हजारों श्रावक-श्राविकाओं को आत्मा व शरीर के भेद विज्ञान के प्रयोग करायें।
शिवाचार्य चातुर्मास आयोजन समिति के मुख्य संयोजक विरेन्द्र डांगी एंव महेन्द्र तलेसरा ने बताया कि युवाचार्य महेन्द्र ऋषि महाराज एवं अन्य साधु संतों ने सभी शिविरार्थियों को ध्यान एवं योग कराये। इस एक दिवसीय ध्यान शिविर में लगभग 2268 से अधिक श्रावक-श्राविकाएं ने भाग लिया,जो अपने आप में एक रिकाॅर्ड था। आवास व्यवस्था समिति के विजयसिंह सिसोदिया ने बताया कि उनकी टीम ने बाहर से आने वाले शिविरार्थियों के लिये ठहरने की व्यवस्था की गई। ब्लयू बिग्रेड की टीम के संयोजक प्रवीण नवलखा के नेतृत्व में 60 सदस्यों की टीम सारी व्यवस्थाओं का जिम्मा संभाले हुई थी।
इससे पूर्व शिवाचार्य समवसरण में धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य सम्राट ध्यानगुरू डाॅ. शिवमुनि जी म.सा. ने कहा कि नवकार मंत्र ही नहीं यह महामंत्रा है। इसकी ऊँचाई और गहराई को हम श्रद्धा से जान सकते है। मंत्र सिर्फ पढ़ना ही नहीं है। मंत्र को आत्मसात् करना है। नमन से मंत्र की शुरूआत होती है। मन की पवित्रता के साथ मंत्र का जाप करना है। जैसे माँ भोजन से पहले बर्तन को साफ करती हैं फिर भोजन देती हैं वैसे ही मंत्र जाप करने से पहले अपने हृदय को पवित्र कर लेना, जिससे मंत्र आपके जीवन में सकारात्मक प्रभाव डाल सकें। अरिहंत वह है जिन्होनें जो पाना था वह पा लिया है। जैसे आपकी दृष्टि है आपकी सृष्टि भी वैसी ही होगी। तुम जो करोगें उसका पफल आपको जरूर मिलता है। आज आप सुखी हैं उसका कारण आप स्वयं है और आज आप दुःखी है तो उसका कारण भी आप स्वयं ही है। अपने-अपने कर्मो का फल आज नहीं तो निश्चित कल सबको मिलता है। हम दूसरों को दोष देते है। रास्ते में चलते हुए गढ़े में गिर गए तो दूसरों को गाली देते है। खुद देखकर चलोगें तो गिरोगे नहीं।
सुपात्र को दान देना, शुद्ध भाव से दान देने से तीर्थंकर नाम गोत्र का बंधन होता है। आज कवि कुलभूषण तिलोक ऋषि म.सा. का दीक्षा दिवस है। वह महान गुरू जिन्होनें मात्रा 10 वर्ष की आयु में दीक्षा ग्रहण करके जिनशासन की पताका को चारों और फहराया था। तीक्ष्ण बुद्धि के धनी आचार्य देव ने 17 आगम कंठस्थ किए थे। वह महापुरूष आपने दोनों हाथ और दोनों पैरो से एक समय, एक साथ लिख लेते थे। हजारों काव्य संग्रहो की रचना की। ऐसे महान आचार्य श्री जी के चरणों में आज हम अपनी भावांजलि अर्पित करते है।
भगवान महावीर की ध्यान साधना के रहस्य को जानने के लिए आज हजारों लोग शिवाचार्य समवसरण में पहुंचे थे। जहां आचार्य सम्राट पूज्य श्री शिवमुनि जी म.सा. ने बताया कि किस प्रकार वर्तमान युग में कैसे तनाव मुक्त रहकर आत्मा से परमात्मा बन सकते है । आत्मा और शरीर दो भिन्न तत्व है कैसे भगवान महावीर स्वामी के कान में कीले ठुकने के बाद भी भगवान के मुख से उफ तक नहीं निकला। इस ध्यान साधना के माध्यम से आपकी परेशानी व दुःख तो नहीं मिटेगा मगर दुःख और परेशानी में समभाव से सहन करने की शक्ति मिलती है। अन्त में लोगों ने अपने अनुभव भी सुनाए थे।
शिवाचार्य समवसरण में बाल संस्कार शिविर का भी आयोजन हुआ। जिसमें 100 से अध्कि बालक-बालिकाओं को प्रवचन प्रभाकर शमितमुनि जी म.सा. ने नैतिक संस्कारों के साथ-साथ धर्मिक संस्कारों का प्रशिक्षण दिया। नवकार महामंत्रा का अखण्ड जाप 24 घण्टे निरंतर गतिमान है जिसमें दिन में श्राविका रात में श्रावक बड़ी श्रद्धा के साथ भाग ले रहे है। प्रवचन और ध्यान शिविर में देशभर से श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। संचालन महेन्द्र तलेसरा ने किया।