ज्ञानशाला का ज्ञानार्थी शिविर
उदयपुर। साध्वी श्री गुणमाला ने कहा कि बाल पीढ़ी को संस्कारित करने के लिए आचार्य तुलसी ने ज्ञानशाला का यह प्रकल्प शुरू किया था।
वे रविवार को ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी शिविर को सम्बोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि बच्चों को प्रतिक्रमण सिखाएं। पंचांग प्रणेति वंदना अवश्य रूप से सिखानी चाहिए। बच्चों में भावनात्मक विकास भी जरूरी है। संस्कारों का प्रभाव बच्चों में होना ही चाहिए।
ज्ञानशाला निदेशक फतहलाल जैन ने कहा कि देश भर में 495 ज्ञानशालायें चल रही हैं। तेरापंथी सभा, महिला मंडल, तेयुप सभी के अनंतिम सहयोग से ये ज्ञानशालायें सफलतापूर्वक चल रही हैं।
क्षेत्री प्रभारी और संयोजिका सुनीता बैंगानी ने कहा कि शहर में 6 स्थानों पर ज्ञानशालायें चल रही हैं। आज यह शिविर है। बच्चे सुबह 8 से 5 बजे तक रहेगा। शिविर के माध्यम से बच्चों में अनुशासन, समय प्रबंधन आता है। साथ रहने की भावना विकसित होती है। सुबह प्रेक्षाध्यान, प्राणायाम हुआ जिसमें एकाग्रता से काम किया।
सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने कहा कि आचार्य श्री की पहली प्राथमिकता ज्ञानशाला है क्योंकि बच्चों से ही समाज बनता है।
साध्वी प्रेक्षाप्रभा ने कहा कि आज की इस सभा में 5 वर्ष के बच्चे से 80 वर्ष के बुजुर्ग भी हैं।
साध्वी नव्यप्रभा ने बच्चों और बड़ों से सवाल किए जिस। इन 24 तीर्थंकर के नाम ज्ञानशाला के बच्चे ही बता पाए, बड़े नहीं। ज्ञानशाला का यही उपक्रम है। बच्चे वो ही सीखते हैं जो टीवी या मोबाइल पर देखते हैं। खाना खाते समय टीवी देखते हैं। टीवी का जीवन वास्तविक नहीं है। अब बच्चे दादा दादी के पास नही बैठते इसलिए उनमें वो संस्कार भी नहीं आ पाते।
ज्ञानशाला शहर के बच्चों ने प्रेक्षा नंदावत लिखित आकर्षक नाट्य प्रस्तुति दी। इसे बेस्ट ज्ञानशाला का पुरस्कार भी मिल चुका है। आदिनाथ नगर ज्ञानशाला के बच्चों ने अर्हम की वंदना करें पर सुंदर नृत्य प्रस्तुति करते हुए मंगलाचरण किया।
संचालन करते हुए संगीता पोरवाल ने कहा कि बच्चे समाज की नींव हैं। जिनके सफल संचालन के लिए आचार्य श्री का भी ध्यान रहता है।