फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (फीमी) ने हिंदुस्तान जिं़क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील दुग्गल को नए अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह निर्णय फीमी ने 14 अगस्त 2018 को आयोजित अपनी वार्षिक आम बैठक में लिया है। सुनील दुग्गल वर्तमान में इण्टरनेशनल जिंक एसोसिशन के उपाध्यक्ष, फिक्की अलौह धातु समिति 2018 के सह-अध्यक्ष तथा इण्डियन लेड-जिं़क डवलपमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं।
श्री दुग्गल वर्ष 2017-18 के लिए खनन पर बनी सीआईआई नेशनल कमिटि के सह-अध्यक्ष और खनन क्षेत्र के लिए स्कील काउन्सिल के अध्यक्ष भी हैं। एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर एवं आईएमडी, लुसाने-स्विट्जरलैंड के एल्युमिनी तथा आईआईएम कलकत्ता के पूर्व छात्र, सुनील दुग्गल आगामी 5 वर्षों के दौरान हिंदुस्तान जिंक की 1.5 मिलियन टन धातु उत्पादन क्षमता और 1500 टन चांदी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कार्य कर रहे हैं। ज्ञातव्य रहे कि दुग्गल के कार्यकाल में ही हिंदुस्तान जिं़क पूरी तरह से भूमिगत खनन कंपनी बनी और यह भी है कि वैश्विक स्तर पर खनन और धातु कंपनियों में डॉव जोन्स सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स में पर्यावरण में तीसरा स्थान तथा ओवरआॅल में 11 वें स्थान पर रही है।
दुग्गल वेदांता एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष के साथ वेदांता एचएसई काउंसिल के एंकर्स भी हैं। 34 वर्षों के व्यापक कार्य अनुभव के धनी, सुनील दुग्गल ने कंपनी में एक कड़ी सुरक्षा संस्कृति को लागू किया है और साथ ही कंपनी में सर्वश्रेष्ठ श्रेणी की खनन और स्मेल्टिंग तकनीकें, अधुनातन पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकियां, मशीनीकरण, डिजिटलकरण और स्वचालित परिचालन गतिविधियों को अपनाये हैं। ।
भारत की एकमात्र जस्ता-सीसा एवं चांदी उत्पादक तथा धातु उत्पादन में वैश्विक नेता होने के कारण हिंदुस्तान जिं़क को ’जिं़क आॅफ इण्डिया’ कहा जाता है और देश को पर्याप्त मात्रा में जस्ता प्रदान करता है। जैसा कि एक बाजार नेतृत्व के रूप में, हिंदुस्तान जिं़क का भारत में जिं़क बाजार पर 85 प्रतिशत नियंत्रण हैं और भारत में 100 प्रतिशत एकीकृत चांदी का उत्पादन करता हैं।
फीमी द्वारा अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर सुनील दुग्गल ने कहा कि फीमी द्वारा अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किये जाने पर मुझे बहुत प्रसन्नता है। मेरा विश्वास है कि भारत को अत्यधिक खनिज संसाधनों का आशीर्वाद मिला है। इस देश के प्रत्येक नागरिक को ’मेक इन इंडिया’ विज़न को ध्यान में रखकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करना है और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ’फाइण्ड इन इण्डिया’ करना है। जमीन के ऊपर कृषि है और जमीन के नीचे खनिज हैं तथा खनिज किसी भी देश के लिए प्राकृतिक संसाधन हैं, और यदि सस्टेनबली से उपयोग किया जाता है तो देश में समृद्धि, विकास और गरीबी उन्मूलन की दिशा में सहायता मिलेगी। अगर भारत को दो अंकों की वृद्धि हासिल करनी है, तो खनिज क्षेत्र के योगदान को भारत की जीडीपी को 7-8 प्रतिशत तक लाना चाहिए, जो अभी नहीं है।
’’हमारे पास आयात आधारित अर्थव्यवस्था होने का एक प्रतिबंध है और हमें वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भारतीय उत्पादों को उपलब्ध करना है। भारत को दुनिया के लिए तैयार उत्पादों का एक स्थायी सप्लायर होना चाहिए और इसके लिए आपको खनिज संसाधनों की विस्तृत खोज और इन संसाधनों को तैयार उत्पादों में बदलने के लिए सहायक उद्योगों की स्थापना की आवश्यकता है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (फीमी) खनन (कोयले सहित), अन्वेषण, खनिज प्रसंस्करण, धातु बनाने और अन्य खनिज आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए 1966 में स्थापित एक अखिल भारतीय शीर्ष निकाय है। यह निकाय ’माइन इन इंडिया’ के लिए ’मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने, सामाजिक-आर्थिक विकास की प्रतिबद्धता और दूरस्थ खनन क्षेत्रों के जीवन में सुधार लाने, भारत में स्थायी खनन आंदोलन का नेतृत्व करने, बाहुल्य खानों में भूगर्भीय संभावनाओं को बदलने और भारत के खनन स्कील को सम्मानित करने के लिए काम करता है।