पेसिफिक में चल रहे चिकित्सकों के सम्मेलन का सारगर्भित समापन
उदयपुर। प्राचीन चिकित्सा तकनीकों से मरीजों को लाभ मिलता था लेकिन पूर्ण रूप से रोगमुक्त होने में काफी समय लग जाता था ऐसे में आधुनिक चिकित्सा पद्धति से मरीजों की बीमारी का पता जल्दी चल जाता है जिससे समय पर उचित उपचार प्रारम्भ किया जा सकता है लेकिन प्राचीन चिकित्सा पद्धति, नवीन तकनीकों के लिए बुनियाद का काम करती है और दोनों एक दूसरे की पूरक हैं यह विचार सामने आये पेसिफिक डेन्टल काॅलेज एंड हाॅस्पीटल देबारी में चल रही चिकित्सकों की राष्ट्रीय कार्यशाला में।
इण्डियन अकेडमी आफ ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलाजी की तीन दिवसीय 30 वीं राष्ट्रीय कार्यशाला का रविवार को समापन हुआ जिसमें मुख्य अतिथि लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ थे। चिकित्सा क्षेत्र में हो रहे अत्याधुनिक षोधों, आविष्कारों तथा प्राचीन एवं नवीन चिकित्सा पद्धतियों के बारे में विस्तृत चर्चा करने के लिए आयोजित इस कार्यशाला में देष और दुनिया से 700 से ज्यादा दंत चिकित्सा और रेडियोलोजी से जुड़े विषेषज्ञों ने भाग लिया। इसके ओर्गेनाईजिंग चेयरमैन डा. मोहित पाल सिंह, सचिव डा. हेमन्त माथुर, टेªजरर डा. भुवनेष्वरी और साईन्टिफिक चैयरमेन अर्चना थी।
मुख्य अतिथि लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा अन्य बीमारियों को लेकर लोगों में जागरूकता है वे बिना समय बर्बाद किये चिकित्सक के पास परामर्श के लिए जाते हैं लेकिन दंत रोगों को लेकर लोगों का रवैया उदासीन रहता है जब तक यह समस्या बढ़ नहीं जाती डाॅक्टर के पास नहीं जाते हैं। पेसिफिक डेन्टल कालेज को आयोजन के लिए बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि कार्यशाला से कई नयी तकनीकों और उपचारों के बारे में जानकारी मिली है जो चिकित्सकों के साथ दंत रोगियों के लिए लाभदायक साबित होगी। इसमें ओरल कैंसर, फोरेन्सिक ओडन्टोलाॅजी, रेडियोलाॅजिकल टेक्निक्स, प्रत्यारोपण, थूक की ग्रन्थियों की बीमारियों, मुंह की चमड़ी की अन्य बिमारियों और लेजर तकनीक पर विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यरक्तन किए।
आज के समय में बहुत सी नवीनतम तकनीकें उपलब्ध है। जिससे सूक्ष्म से सूक्ष्म बीमारियों के बारे में पता लगाया जा सकता है जिससे जल्दी ही उसका उपचार प्रारम्भ किया जा सके। कार्यशाला में 300 ज्यादा पोस्ट ग्रेजुएषन के विद्याथियों ने पत्र वाचन किया और 150 से अधिक दंत रोगों और उसके उपचार से जुड़े पोस्टर प्रदर्षित किये गये । समापन समारोह में पेसिफिक यूनिवर्सिटी के विभिन्न काॅलेजों के प्राचार्य, डीन, प्रोफसर्स मौजूद रहे।
आज के समारोह में लन्दन से आए डा.ॅ रामचन्द्रा ने शोध में बाताया कि मुख रोगों का सिस्टेमिक रोगों से क्या सम्बन्ध है एवं डेन्टल सर्जनस् को दन्त चिकित्सा करते हुए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
डा. बटाटू जोय ने पत्र वाचन में टेम्पोरो मैन्डिबुल्लर जोईन्ट के रोगों के उपचार के बारे में विस्ती्रत रूप से जानकारी दी , इन सब के साथ डा. भरत मोदी, डा. छाया डेविड, डा. आषा आयंगर, डाॅ. रमेष टाटापुड़ी, डाॅ सुनिल एमके, डा सुरेष लुधवानी ने डायग्नो.सिस और डेन्टल ट्रीटमेन्ट के नए शोधों के बारे में लेक्चर दिया।