उदयपुर। भारत की एकमात्र चांदी उत्पादक कंपनी हिन्दुस्तान जिंक द सिल्वर इंस्टीट्यूट द्वारा वर्ल्ड सिल्वर सर्वे 2019 के अनुसार अब दुनिया में नवीं सबसे बड़ी चांदी उत्पादक कंपनी है, जिसने भारत को शीर्ष 12 चांदी उत्पादक देशों में शामिल किया है।
एक
हजार टन चांदी उत्पादन के लक्ष्य के साथ इसे शीर्ष 5 वैश्विक उत्पादकों
में गिना जाएगा और अंततः पन्द्रदह सौ टन के साथ, कंपनी फ्रेस्निलो पीएलसी
के बाद खुद को दूसरी सबसे बड़ी वैश्विक चांदी उत्पादक के रूप में स्थापित
करने में सक्षम होगी।
हिंदुस्तान जिंक भारत की एकमात्र एकीकृत चांदी
उत्पादक कंपनी है जो कि एकीकृत चांदी का शत प्रतिशत और देश के प्राथमिक
चांदी का लगभग 95 प्रतिशत उत्पादन करता है। कंपनी ने पिछले पंद्रह वर्षों
में वित्त वर्ष 2002 में 41 मैट्रिक टन से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2019 में 679
मेट्रिक टन तक उत्पादन बढ़ाया है। योजनानुसार कंपनी का आगामी 2 वर्षों में
1000 टन चांदी उत्पादन करने का लक्ष्य है और अगले 5-6 वर्षों में 1500 टन
उत्पादन करने की ओर अग्रसर है।
हिन्दुस्तान जिं़क का महाद्वीप में कुल
चांदी उत्पादन का दो तिहाई से अधिक चांदी उत्पादन है वैश्विक चांदी बाजार
में भारत के प्रतिनिधित्व के साथ विकास जारी है।
गत वर्ष, उत्तराखंड
में पंतनगर स्थित हिंदुस्तान जिं़क की सिल्वर रिफाइनरी को लंदन बुलियन
मार्केट एसोसिएशन (एलबीएमए) द्वारा भी मान्यता दी गई है और इसे ‘लंदन गुड
डिलीवरी‘ सूची में शामिल किया गया है।
भारत दुनिया में चाँदी का सबसे
बड़ा उपभोक्ता और आयातक है, वैश्विक चाँदी की माँग लगभग 21 प्रतिशत है,
यद्यपि भारत में केवल 10 प्रतिशत ही उत्पादन होता है। भारत में चाँदी का
आयात 5500 से 7,000 टन प्रतिवर्ष है। वैश्विक स्तर पर, सिल्वर का सबसे अधिक
उपयोग (54 प्रतिशत) औद्योगिक निर्माण में होता है, इसके बाद (20.5
प्रतिशत) ज्वैलरी, (17.5 प्रतिशत) सिक्के और बार और वल्र्ड सिल्वर
इंस्टिट्यूट के अनुसार (6 प्रतिशत) चांदी का उपयोग होता है।
चांदी
हमेशा औद्योगिक उपयोग के कारण अनिवार्य रूप से मांग में बनी रहेगी। सौर
ऊर्जा पैनल, उपग्रह, लेजर, उच्च तकनीकी हथियार, रोबोटिक्स, दूरसंचार के लिए
चांदी की जरूरत है। स्वचालक, कॉन्ट्रैक्ट, स्विच और फ्यूज के लिए चांदी की
आवश्यकता होती है क्योंकि यह बहुत अधिक नहीं होता है या अधिक गर्मी और आग
का कारण नहीं होता है। चांदी की औद्योगिक भूमिका सोने की तुलना में बहुत
अधिक है और यह इस कारण से है कि सोने की कमी होने पर चांदी की कमी के
नकारात्मक प्रभाव अधिक होंगे।