दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन एवं कार्यशाला का शुभारंभ
मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार एवं पेसिफिक अकैडमी ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वाधान में पेसिफिक विश्वविद्यालय के विश्वेश्वरैया हॉल में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन एवं कार्यशाला का शुभारंभ हुआ।
कार्यशाला का मुख्य केंद्र बिंदु रसायन विज्ञान विषय के हरित रसायन एवं वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग – आज की आवश्यकता था। जिसके उद्देश्य हरित रसायन विषय में हिंदी भाषा के अध्ययन-पठन-पाठन को बढ़ावा देना था। मुख्य अतिथि प्रोफेसर एम एल कालरा (पूर्व कुलपति, कोटा विश्वविद्यालय) ने बताया कि मानक शब्दावली में प्रयोग वाली अच्छी पुस्तकों की कमी है तथा हम क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे लोक जन भी शोध सूचनाओं से अवगत रहे। आयोग के सहायक निदेशक, प्रोफेसर शिव कुमार चौधरी आयोग के गठन, उद्देश्य,अध्यादेश, आवश्यकता व शब्दावली निर्माण विधि के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इसी क्रम में प्रोफेसर हेमंत कोठारी (अधिष्ठाता, स्नातकोत्तर अध्ययन) ने बताया कि पेसिफिक विश्वविद्यालय का शोध विभाग समाज एवं समुदाय के हित में अनवरत अग्रसर है। कई शोध कार्य हरित रसायन, नैनो रसायन, क्वांटम डॉट्स पर किए गए हैं तथा इन क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया की सदैव उचित शब्दावली का उचित स्थान पर उपयोग ही सही अर्थ प्रकट करता है।
हरित रसायन में विज्ञान एवं तकनीकी शब्दावली के महत्व को बताते हुए प्रोफेसर एस. सी. आमेटा (प्रख्यात रसायनविद) ने बताया कि आरंभिक वर्षों में हिंदी शब्दावली का इतना उपयोग नहीं होता था किंतु क्रमवार सुधार से एवं अनवरत प्रयासों से अब स्थिति में बदलाव आया है तथा विभिन्न शोधार्थी एवं विद्यार्थी इससे लाभान्वित हुए हैं। प्रोफेसर राजेश दुबे (निदेशक, जैव प्रौद्योगिकी विभाग सुखाड़िया विश्वविद्यालय) ने बताया कि शिक्षण प्रणाली एवं प्रायोगिक शिक्षा में हिंदी भाषा के उपयोग की आवश्यकता है। इसी संख्या में तत्पश्चात प्रोफेसर बी. डी. रॉय (कुलपति, पेसिफिक विश्वविद्यालय) ने बताया कि चिकित्सा क्षेत्र में हिंदी शब्दावली का अभाव है अतः आयोग सभी क्षेत्रों में ऐसी पुस्तकें निकालें जो भविष्य में सहायक सिद्ध हो सके। अंत में प्रोफेसर रामेश्वर आमेटा (अधिष्ठाता, विज्ञान संकाय, पेसिफिक विश्वविद्यालय) ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर द्वितीय सत्र में ‘विज्ञान लेखन अध्ययन एवं शिक्षण में समस्या एवं समाधान’ विषयक चार आमंत्रित व्याख्यान प्रोफेसर आलोक चतुर्वेदी (अजमेर), प्रोफेसर एम एल कालरा( उदयपुर), प्रोफ़ेसर मनीष (दिल्ली) एवं प्रोफेसर रक्षित आमेटा (उदयपुर) ने प्रस्तुत किए। 10 शोधार्थियों ने हिंदी में रसायन विज्ञान विषयक बिंदुओं पर मौखिक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ शालू दाधीच द्वारा किया गया। उपरोक्त जानकारी डॉक्टर नीतू अग्रवाल द्वारा दी गई।