विश्व में दुर्लभ व अति जटिल माने जाने वाले बर्न्स केस की घटना
अहमदाबाद। मेडिकल सायन्स में जीसे रेर यानी दुर्लभ केस की श्रेणी में गीना जाता है, वह हाई टेन्शन इलेक्ट्रीक बर्न्स के कारण हृदय तक भारी करंट लगने के केसिज में मरीज के बचने की संभावाना बहुत कम होती है । एसे बर्न्स के मरीज को यदि उचित समय पर उचित उपचार न मिले तो कई प्रकार के कोम्पलिकेशन्स होने की संभावना बढ जाती है।
इस स्थिति में जोधपूर के 14 वर्षिय किशोर को अपने खेत में करंट लगा था। त्वरीत उपचार के लिए मरीज को अहमदाबाद रिफर किया गया। स्टर्लिंग हॉस्पिटल के बर्न्स युनिट की डॉक्टर्स टीम को मरीज के जीने की संभावना को घ्यान में रखकर जटिल व जोखिम सर्जरीज करने में सफलता मिली। यह किस्सा 14 वर्षिय किशोर दिनेश परिहार का है, जो जोधपूर के प्रसिद्ध मथाणिया गांव का निवासी है। स्थानीय स्तर पर उचित उपचार का अभाव व निराशा मिलने के बाद समय का व्यय न करते हुए इस किशोर को अहमदाबाद लाया गया, जहां उसकी जान बचाई गई।
स्टर्लिंग हॉस्पिटल में यह केस को तीन डॉक्टर्स की टीम ने सफल बनाया, जिस में गुजरात के विख्यात बर्न्स, प्लास्टीक व कोस्मेटिक सर्जन डॉ. विजय भाटिया, विख्यात हृदयरोग सर्जन डॉ. सुकुमार महेता एवं अनुभवी क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट डॉ. निरव विसावडिया सामेल थे ।
डॉ. विजय भाटीया ने बताया कि गत 7 सितम्बर को रात के 9.00 बजे स्टर्लिंग हॉस्पिटल में एक केस आया। इमरजेन्सी डिपार्टमेन्ट में मरीज की स्थिति गंभीर थी। हाथ, सर के भाग में, हृदय पर ओर पांव में कई जगह पर बर्न्स के जखम थे। पता चला कि 14 वर्षीय किशोर को अपने ही खेत में काम करते समय हाई टेन्शन वायर से करंट लगा था। पहली बार लगा झटका इतना कठोर था कि किशोर जमीन पर जा गिरा। जमीन में अत्याधिक नमी थी, झटका लगने से किशोर नीचे गिरा तब वो सीधा उसी वायर पर छाती के बल गीरा, जीससे उसकी स्थिति काफी गंभीर हो गई थी।
स्टर्लिंग में मरीज का प्राथमिक उपचार करके बर्न्स का कर्ल्चर रिपोर्ट व सिटी-स्केन कराया गया। 48 घंटे के बाद मिले कल्चर रिपोर्ट के मुताबित मरीज के छाती के भाग में गंभीर बर्न्स की वजह से हृदय की उपरी परत तक सभी भाग खुल गया था। त्वचा, स्नायु, नसें, पसलियां व हृदय को रक्षण देनेवाला उपरी परत यह सभी जल गया था।
उस के अलावा हाई टेन्शन करंट मरीज के हार्ट से निकलने की वजह से हार्ट को भी नुक्सान हुआ था किन्तु यह उचित उपचार से सुधारा जा सकता था। यह रिपोर्ट डॉक्टर्स के लिये भी एक चेलेन्ज था, क्योंकि मरीज के हृदय को ओपरेशन करके बचाना अत्यावश्यक था ।
डॉ. भाटिया ने बताया कि तीस साल की मेडिकल सेवा में इस प्रकार का गंभीर व जटिल केस यह पहला है। समूचे विश्व में एसे किस्से अत्याधिक रेर की श्रेणी में आता है। 11 सितम्बर को मरीज दिनेश का पहला ओपरेशन किया गया। जिस में हृदय पर से एक के बाद एक जल कर निष्क्रिय हो गये सभी भागों को निकाल दिया गया।
हमारे अंदाज के मुताबित, वो तमाम भाग दूर करने के बाद हृदय संपूर्ण ओपन हो गया था । फेफडो का कुछ हिस्सा भी ओपन हो गया था । हार्ट मे डेमेज था, जो कि रिपेरेबल था । मरीज के शरीर के दाहिने भाग से स्वस्थ चमडी व स्नायुओ का एक हिस्सा ले कर हृदय को कवर किया गया ।
तत्पश्चात अन्य दो ओपरेशन्स भी किए गए। जिसमें मरीज के बदन पर हुए अन्य बर्न्स के हिस्से, पांव, पीठ, हाथ व खोपडी के भाग पर ग्राफ्टींग किया गया। मरीज के हाथ पर तीन उंगलीयो में बर्न्स के कारण गेन्गरिन होने लगा था, इसलिये उसे दूर करने की सर्जरी भी की गई थी।
यह समग्र केस में अत्याधुनिक तकनिक, उचित समय पर उचित इलाज के कारण मरीज को कोई भी कोम्पलिकेशन के बिना केवल 7 दिन के भीतर आई.सी.यु स्टे से बहार लाने में सफलता मिली है। डेढ महिने के हॉस्पिटल स्टे के बाद मरीज को स्वस्थ अवस्था में डिस्चार्ज किया गया।