10 लाख आटोप्सी में से 0.02 फीसदी (प्रतिशत) में ही पाया जाता है यह ट्यूमर
उदयपुर। पेसिफिक मेडिकल कालेज एवं हास्पीटल के पेसिफिक सेन्टर आफ कार्डियक साइन्सेस में ह्नदय के ट्यूमर की सफल सर्जरी की गई।
भीलबाडा के दरीबा निवासी के 60 बर्शीय शंकरलाल को चार पांच महीनों से श्वास लेने में दिक्कत एवं जी घबराने की परेशानी का सामना करना पड रहा था। परिजनों ने शंकरलाल को कई जगह दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। परिजन उसे पेसिफिक हास्पीटल लेकर आए यहा उन्होने शंकरलाल को ह्नदयरोग विशेषज्ञ डाॅ.जे.सी.शर्मा को दिखाया पर जाच करने पर उसके ह्नदय में गाॅठ का पता चला जिसका की आॅपेरशन द्वारा ही इलाज सम्भव था।
शंकरलाल को ह्नदयरोग सर्जन डाॅ.षिरीश एम. ढोबले के युनिट में भर्ती कर आॅपरेशन पूर्व की सभी जाॅचें करने के बाद मरीज को आॅपरेशन थियेटर में ले जाया गया। दो घण्टे तक चले इस सफल आॅपरेशन को अंजाम दिया ह्नदयरोग सर्जन डाॅ.षिरीश एम. ढोबले,कार्डियक एनिस्थिटिक डाॅ.समीर गोयल एवं उनकी टीम ने। ह्नदयरोग सर्जन डाॅ.षिरीश एम..ढोबले ने बताया कि यह ट्यूमर 10 लाख आॅटोप्सी में से 0.02 फीसदी में ही पाया जाता है। जिसके कारण यह बहुत ही दुर्लभ होता है। डाॅ. ढोबले ने बताया कि ह्नदय में चार चेम्बर होतें हैं दो दाॅयी ओर एवं दो बाॅयी ओर। यह गाॅठ ह्नदय के बाएं चेम्बर में थी जोकि शरीर के सभी अंगो में रक्त संचरण का कार्य करता है। गाॅठ बहुत ही नाजूक थी जिसके कारण खतरे की संभावना ज्यादा थी क्यों कि बाएं चेम्बर से रक्त संचरण करने वाली मुख्य धमनी निकलती है जो शरीर के हर हस्से को रक्त सप्लाई करती है। यह गाॅठ मरीज की हर धडकन के साथ हिलती और नाजूक होने के कारण इसका छोटा सा हिस्सा रक्त सप्लाई करने वाली धमनी से होकर शरीर के किसी भी अन्य धमनी के रास्ते को अवरूद्ध कर सकता था जिसके चलते मरीज को लकवा एवं ह्नदयाघात की संभावना बड जाती है। इस तरह के ट्यूमर के कारण शरीर की कार्य क्षमता प्रभावित होती है साथ ही यह शरीर में रक्त संचरण को भी प्रभावित करता है। मरीज के इस आॅपरेशन में सरकार की भामाशाह योजना के साथ साथ मेंनेजमेन्ट का काफी सहयोग रहा। शंकरलाल अभी पूरी तरह से स्वस्थ्य है। शंकरलाल ने पेसिफिक सेन्टर आॅफ कार्डियक साइन्सेस में उच्च प्रषिक्षित स्टाॅफ,हाईटेक आॅपरेषन थियेटर एवं किफायती दरों के चलतें चेयरमेन राहुल अग्रवाल एवं बेहतरीन देखभाल के लिए सभी स्टाफ की प्रषंसा की।