निस्संतानता एवं लकवा पर वर्कशाॅप
उदयपुर। पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एवं हाॅस्पीटल, इण्डियन मेडीकल ऐसोसियेशन उदयपुर चेप्टर एवं एपीआई उदयपुर की ओर से निःसंतानता एवं लकवा रोग पर एक दिवसीय वर्कशाॅप का आयोजन किया गया। वर्कशाॅप को सम्बोन्धित मुम्बई के सुप्रसिद्ध निःसतानता विशेषज्ञ डाॅ परिक्षित टाॅक ने कहा कि निःसंतानता वर्तमान में हमारे देश में बहुत ही ज्वंलत समस्या के रूप में उभर कर आया हैं,और इसका सबसें बडा कारण हमारी बदलती लाइफ स्टाइल, तनाव एवं फास्ट फूड का ज्यादा उपयोग करना है।
इसके कारण युवाओं स्पर्म काउन्ट कम होतें जा रहें है,साथ ही कैरियर बनाने की चाहत में लडकियों की ज्यादा उम्र में शादी भी इसके लिए जिम्मेदार है। इस अवसर पर वर्कशाॅप को सम्बोंधित करतें हुए पेसिफिक आईवीएफ सेन्टर की साईन्टिफिक डायरेक्टर डाॅ.मनीषा वाजपेयी ने कहा कि निःसंतान दम्पत्तियों के लिए निःसंतानता के इलाज के लिए केन्द्र सरकार या राज्य सरकार की कोई ऐसी योजना नहीं है और न ही कोई हेल्थ इन्सोंरेन्स कम्पनी की निःसंतानता के इलाज के लिए ऐसी कोई पाॅलिसी है। जिसके चलते ऐसे लाखों मरीज इलाज से वंचित रह जाते है। ऐसे ही निःसंतान दम्पत्तियों के लिए पेसिफिक आईवीएफ सेंटर ने इस दिशा में यह कदम उठाया है। यहाॅ पर निःसंतान दम्पत्तियों का इलाज केवल लागत दर पर किया जा रहा है।
इस दौरान डाॅ.मनीषा वाजपेयी ने पीएमसीएच आईवीएफ में उपलब्ध विश्वस्तरीय सुविधाओं और जेनेटिक रिसर्च के बारें में जानकारी दी। वर्कशाॅप को सम्बोन्धित करतें हुए फ्लोरिडा यूएसए से आए इन्टरवेंशनल न्यूरोलाॅजिस्ट डाॅ.दिलीप मियामी ने यूएसए की वर्तमान चिकित्सा प्रणाली पर प्रकाश डालतें हुए कहा कि अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्र में आधुनिक तकनीक जैसे इन्टरनेट (गूगल सर्च इंजन) के माघ्यम से आम आदमी यह जान सकता हैं कि किस अस्पताल में कौन कौन सी विशेष चिकित्सा प्रणाली की सुविधा उपलब्ध है।
उन्होने कहा कि इस आधुनिक तकनीक के चलते मरीज को लकवा होने के एक घण्टे के अन्दर मेकेनिकल थ्रोम्बोक्टाॅमी के द्वारा स्ट्रोक के कारण होने वाली अपंगता से मरीज को बचाया जा सकता है। इस अवसर पर पेसेफिक सेन्टर आॅफ न्यूरो साईन्सेस के डाॅयरेक्टर इन्टरवेंशनल न्यूरोलाॅजिस्ट डाॅ.अतुलाभ वाजपेयी ने बताया कि भारत में मौजूदा चिकिम्सा में अस्पताल में सूचनाओं का अभाव एवं तकनीक का उचित ज्ञान न होने के कारण लकवा रोगीयों को उचित लाभ नहीं मिल पाता है।
डाॅ.वाजपेयी ने बताया कि इस तरह की तकनीक का मरीज को अनुभव न होने के वावजूद हम पीएमसीएच में मौजूदा संसाधनों और समय समय पर दक्षिणी राजस्थान में लोगो को जागरूकता अभियान के माघ्यम सें जागरूक करके एक घण्टे में मेकेनिकज थ्रोम्बोक्टाॅमी द्वारा उपचार देने में सफल रहे।
जो कि अमेरिका जैसे विकसित एवं भारत जैसे विकासशील देश में एक जैसा है। यदि भारत में सूचना एवं तकनीक की सुविधाओं का उपयोग करके एक माॅडल तैयार कर चिकित्सा प्रणाली को और अधिक विकसित किया जाए तो हम भारत में लकवा से होने वाली अपंगता को रोक सकने में सफल हो सकतें है। इस अवसर पर पीएमसीएच के चेयरमेन राहुल अग्रवाल, प्रीति अग्रवाल, आईएमए उदयपुर के डा. सुनील चुग एवं डा. आनन्द गुप्ता सहित शहर के 150 से ज्यादा चिकित्सक उपस्थित रहे।