एक लाख में 0.02 फीसदी मनुष्यों में होती है यह बीमारी
उदयपुर। पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एवं हाॅस्पिटल,बेदला में क्रोनिक मेसेन्टेरिक इस्किमिया बीमारी से पीड़ित जमनालाल का कार्डियोलाॅजिस्ट डॉ. जेसी शर्मा, गेस्ट्रोसर्जन डॉ. विकेश जोशी एवं टीम ने एण्डोवेस्कूलर पद्धति से सफल इलाज किया।
छोटी सादडी के गुमाणा गांव निवासी 46 वर्षीय जमनालाल को लम्बे समय से खाना खाते ही पेट दर्द की समस्या का सामना करना पड रहा था। यह परेशानी पिछलें तीन महिनों में ज्यादा हो गई जिसके चलते जमनालाल का वजन कम हो गया। परिजनों ने जमनालाल को कई जगह दिखाया लेकिन फायदा नहीं मिला। परिजन उसे पेसिफिक हाॅस्पीटल बेदला लेकर आए यहाॅ पर ग्रस्ट्रोसर्जन डाॅ.विकेश जोशी को दिखाया,जाॅच करने पर पता चला कि जमनालाल की आॅत एवं लीवर को रक्त की सप्लाई करने वाली खून की नसों में 99 फीसदी ब्लाक हो गया जिसके कारण मरीज को खाना खातें ही दर्द शुरू हो जाता था। जिसके डर के चलते मरीज ने खाना,खाना बन्द कर दिया था। इस बीमारी को क्रोनिक मेसेन्टेरिक इस्किमिया कहतें है। जिसका की एण्डोवेस्कूलर पद्धति द्वारा ही इलाज सम्भव था। यह बीमारी एक लाख मनुष्यों में से 0.02 फीसदी मे ही होती है।
कार्डियोलाजिस्ट डा. जेसी शर्मा ने बताया कि जमनालाल को एण्डोवेस्कूलर द्वारा आॅत एवं लीवर की ब्लाक नसों में स्टेन्ट लगाकर खून के प्रवाह को पुनः सामान्य रूप से सुचारू किया। डाॅ.शर्मा ने बताया कि इस बीमारी में मरीज के वजन में कमी, खाने के साथ दर्द एवं भोजन का भय हो जाता है। मेसेन्टेरिक इस्केमिया तब होता है जब संकुचित या अवरुद्ध धमनियां छोटी आंत में रक्त के प्रवाह को प्रतिबंधित करती हैं। जिसके कारण आंत और लीवर में ये रक्त के थक्के पैदा कर सकते है। जमनालाल अभी तरह से स्वस्थ्य है और आराम से खाना खा रहा है। मरीज को अभी छुट्टी दे दी है।