हिन्दुस्तान जिंक में आध्यात्मिक संत पुज्य स्वामी ब्रह्मविहारी दास का संबोधन
उदयपुर। जीवन में बदलाव स्वाभाविक है जिससे बिना प्रभावित हुए उसे सकारात्मक रूप से हमें अपनाना चाहिए, साथ ही समय के साथ चलते हुए हमें खुद को उसके अनुरूप बनना आवश्यक ताकि हम हर चुनौती का सामना कर सकें।
यह बात बीएपीस स्वामी नारायण संस्थान के चितंक, विचारक एवं अंतर्राष्ट्रीय विद्वान पुज्य स्वामी ब्रह्मविहारी दास ने हिन्दुस्तान जिं़क यषद भवन के आडिटोरियम में आयोजित मोटिवेश्नल स्पीच ‘‘एम्बे्रन्स चैंज एण्ड ग्रो’’ में अपने उद्बोधन में कही। उन्होंने जीवन के तीन मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें स्वकेंद्रित न होकर दूसरों के हित के बारें मे भी सोचना चाहिए एवं उनका दिल जीतना चाहिए, आपकी कथनी और करनी दिल से हो, हमें अपने वचनों का पक्का होना चाहिए ताकि हमें जीवन में कम कठिनाइयों का सामना करना पडें। उनके उद्बोधन से हिन्दुस्तान जिंक के सभी कर्मचारी, शहर के गणमान्य नागरिक एवं अनुयायी गौरवान्वित हुए।
पूज्य स्वामीजी ने कहा कि यदि हम मन, शरीर और आत्मा से ईमानदारी के साथ किसी से मिलकर आपसी संबंध स्थापित करते है तो उसके लिए हमें बार-बार उद्यम करने की आवश्यकता नही होती क्योंकि वह अमिट होता है। उन्होंने कहा कि समय के साथ बदलाव का निर्णय हमारें हाथ में नही होता उसका फैसला समय करता है जो कि हमें स्वीकार्य होना चाहिए। बशर्ते बदलाव का निर्णय सही समय, जगह, तरिके और दृष्टिकोण से हो।
हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकरी सुनील दुग्गल ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि अंतर्राष्ट्रीय ख्यातनाम संत का हमें सानिध्य प्राप्त हुआ। निश्चय ही हम इनके मुखारबिन्द से उद्बोधन को जीवन में उतार कर सफलता हासिल करने में अनुसरण करेगें। पुज्य स्वामी ब्रह्मविहारी दास के उद्बोधन का हिन्दुस्तान जिंक की सभी इकाइयों में लाईव प्रसारण किया गया जिससे हजारों लोग लाभन्वित हुए।