राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर पेसिफिक इंस्टीट्यूट आफ बिजनेस स्टडीज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रदूषण नियंत्रण में योगदान विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए पर्यावरणविद् डॉ. चंद्रशेखर कपूर ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा अपरदन और ध्वनि प्रदूषण का विभिन्न यंत्रों के माध्यम से त्वरित मापन करते हुए उनके सुधार हेतु निर्धारित कदम भी मशीनों के माध्यम से ही उठाए जा रहे हैं। किस प्रकार से उद्योगों व ट्राफिक को नियंत्रण में रखा जा सकता है इसकी निगरानी भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा की जा रही है। देश में 160 वायु मॉनिटरिंग स्टेशन है जबकि 4000 स्टेशन की आवश्यकता है जिससे कि वायु की क्वालिटी को निरंतर नियंत्रण में रखा जा सके। डॉ. उदित वार्ष्णेय ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए इंटरनेट ऑफ थिंग्स तथा मशीन लर्निंग जो कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में सहयोगी है के बारे में विस्तार पूर्वक बताया।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर के. के. दवे, प्रेसिडेंट पेसिफिक विश्वविद्यालय ने बताया कि कंपनियां जो कि अपना सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए प्रदूषण के स्तर को मानक से अधिक नहीं बढ़ने दे रही है; जहां पर की प्रभावी रूप से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट कार्य कर रहे हैं उन संस्थाओं की न सिर्फ ख्याति बढ़ रही है अपितु उनकी उत्पादकता और लाभदायकता में भी वृद्धि हो रही है।
प्रिंसिपल डॉ. अनुराग मेहता ने बताया कि कि किसी विसंगतियों या समस्या का जब तक मापन नहीं किया जाता तब तक उसका समाधान भी नहीं हो सकता। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से प्रदूषण संबंधी समस्याओं को बारीकी से मापते हुए मशीन लर्निंग के माध्यम से सहज एवं प्रामाणिक उपाय व्यापक रूप से किए जा रहे हैं। आज 10 में से 9 व्यक्ति प्रदूषित वायु लेने को बाध्य हैं। इसी प्रकार विश्व में 1.8 अरब लोग प्रदूषित पानी पीने को बाध्य हैं। यह एक चिंताजनक विषय है कि विश्व के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 भारत में है। यह एक ज्वलंत समस्या है जिसके समाधान का संकल्प प्रतिभगियों ने लिया तथा प्रदूषण ना फैलाने की शपथ ली।