पोलेंड के वोरसो शहर में हुई पर्सपेक्टिव वुमेन टेक समिट में भाग लिया, मैन्टोरिंग सेशन में तकनीकी और आईटी क्षेत्र में महिलाएं कैसे आगे बढ़े पर दिया व्याख्यान, आनलाईन एग्जाम में लिखे निबंध के आधार पर हुआ चयन
उदयपुर। समाज की पुरूष-प्रधान मान्यताओं को बीते कई दशकों से महिलाओं ने चुनौती देते हुए हर क्षेत्र में स्वयं को स्थापित किया है। शिक्षा से लेकर रोजगार तक के क्षेत्रों में आजकल महिलाएं अपनी लौहा मनवा रही है। कई क्षेत्रों में तो महिलाएं अब प्रतिनिधित्व भी कर रही है। ऐसा ही एक उदाहरण प्रस्तुत किया है लेकसिटी की बेटी तसनीम मेहजबीन ने। तसनीम ने 14 व 15 जून को पोलैंड में हुई ‘पर्सपेक्टिव वुमेन टेक समिट’ (तकनीकी में महिलाओं का नज़रिया) में भाग लिया। प्रदेश से वह एकमात्र लड़की जो इस समिट का हिस्सा बनी है। समिट में 85 देशों से करीब 8000 लोगों ने शिरकत की।
उदयपुर की तसनीम पत्नी फखरी भोजियावाला ने बताया कि वे इस समिट का हिस्सा बनने वे 12 जून को उदयपुर से पौलेंड पहुंची थी। पौलेंड के वोरसो शहर में आयोजित इस दो दिवसीय समिट में 85 देशों के करीब 8000 से अधिक लोगों ने भाग लिया। समिट में शामिल 500 स्पीकर्स ने अपने पत्रवाचन किए। तसनीम इस समिट के मैन्टोरिंग (सलाह) सेशन का हिस्सा बनी जिसमें 300 सेशन हुए। तसीनम ने बालिकाएं व महिलाएं तकनीकी व आईटी क्षेत्र में किस तरह आगे बढ़े और रास्ते चुने इस पर अपना व्याख्यान देते हुए अनुभवों को साझा किया। समिट के दौरान 50 विशेष तरह की कार्यशालाएं हुई जिसमें तकनीकी और इंर्फोमेशन टेक्नोलाॅजी (आईटी) से जुड़े विषयों पर चर्चा कर वहां मौजूद लोगों के प्रश्नों के उत्तर दिए गए।
आनलाईन परीक्षा के आधार पर होता है चयन
तसनीम जिस समिट का हिस्सा बनी उसके लिए आॅनलाईन एग्जाम की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इस आॅनलाइन एग्जाम में आपकी प्रतिभा व कार्यशैली से जुड़े प्रश्नों के साथ ‘आपको इस समिट का हिस्सा क्यूं बनाया जाएँ’ आदि के बारे में पूछा जाता है और इस पर एक निबंध लिखकर भेजना है जिसके आधार पर चयन किया जाता है। तसनीम प्रदेश से एकमात्र लड़की है जो इस समिट का हिस्सा बनी। तसनीम वर्तमान में दवा कंपनी नोर्वाटीज से जुड़ी हुई है। वे बोहरा समाज के हुसैनी मगर की नवासी है।
गत वर्ष यूके में ‘वन यंग समिट’ में भाग लिया था
तसनीम इससे पहले बीते वर्ष 2022 में सितम्बर माह में यूनाइटेड किंगडम के मैनचेस्टर में हुई ‘वन यंग समिट’ में भाग लिया था। इस समिट में 201 देशों से 2000 से अधिक लोगों की भागीदारी रही थी। जिसमें राजनीति, उद्योग से जुड़ी बड़ी हस्तियां जैसे प्रिसं हेरी, मेगन मार्कल, इब्तिहाज मुहम्मद, हलीमा एडन आदि ने हिस्सा लेकर अपने जीवन के संघर्ष को साझा करते हुए मुसीबतों के बावजूद किस तरह जीवन में आगे बढ़ा जाएं इसकी प्रेरणा दी थी।
मां से प्रेरणा लेकर बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में भी कार्यरत
तसनीम खाली समय में बच्चों को शिक्षित करने का काम भी करती है। यह प्रेरणा उन्हें उनकी माता मेहजबीन मगर से मिली। देश के दिल्ली, हैदराबाद व बैंगलोर में अपनी नौकरी के दौरान वे वहाँ अभावग्रस्त बच्चों को शिक्षा से जोड़ती रही। इसके लिए वह अपनी माता मेहज़बीन मगर की अंग्रेजी सिखने व लिखावट सुधारने के लिए बनाई गई किताबों का उपयोग करती है। इनकी माता मेहजबीन अंग्रेजी भाषा व बच्चों की लिखावट सुधारने के लिए भी कार्यरत है क्योंकि उनका मानना है कि कई बार परीक्षा में उनके लिखावट के आधार पर भी अंक मिल जाते है। इन्होंने इसके लिए खुद की लिखी करीब 23 पुस्तकें बना रखी है जो नर्सरी से कक्षा 7 तक के बच्चों की लिखावट सुधारने में मदद करती है।