चिकित्सा विज्ञान में कुछ ही केस
उदयपुर। अगर किसी बीमारी का सही मूल्यांकन हो जाए तो उसका उपचार भी तुरन्त और सटीक हो सकता है। और ऐसे ही एक दुर्लभ बीमारी यूरिनरी ब्लेडर फियोक्रोमोसाइटोमा का पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के यूरोलॉजी विभाग के डॉ.हनुवन्त सिंह राठौड एवं उनकी टीम ने सटीक डाग्नोसिस एवं सफल ऑपरेशन कर 59 बर्षीय मरीज को नया जीवन दिया। इस सफल ऑपरेशन में ऑन्कोसर्जन डॉ.सौरभ शर्मा,डॉ.कोनार्क ठक्कर, निश्चेतना विभाग के डॉ.प्रकाश औदिच्य,डॉ.समीर गोयल एवं डॉ.विक्रम चन्द्रमोहन शर्मा एवं घनश्याम नागर का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा।
दरअसल चित्तौड़गढ़ के कपासन क्षेत्र निवासी 65 बर्षीय एक महिला को पिछले सात आठ साल से पेशाब जाने के दौरान अचानक से ब्लड प्रेशर का बढ़ना,तेज सिरदर्द एवं पेशाब में जलन की समस्या थी। कई जगह दिखाया लेकिन सभी चिकित्सक मरीज के सिरदर्द और बी.पी. की समस्या को लेकर जॉच कराते और उपचार करते लेकिन समस्या यू ही बनी रही और मरीज को कोई फायदा नहीं हुआ।
मरीज के परिजन उसे पेसिफिक हॉस्पिटल भीलों का बेदला लेकर आए जहॉ यूरोलॉजिस्ट एवं रिकन्स्ट्रक्षनल सर्जन डॉ.हनुवन्त सिंह राठौड को दिखाया तो मरीज की मरीज की सीटी स्केन एवं एमआरआई जॉच कराई तो पेशाब की थैली मे गठान का पता चला। जो कि उसकी दीवार से चिपकी हुई है। जिसका की ऑपरेशन बहुत ही जोखिम भरा था।
डॉ.हनुवन्त सिंह राठौड ने बताया कि मरीज की बीमारी को कन्फर्म करने के सिस्टोस्कॉपी की जिसमे मरीज के मूत्राशय को भरा तो उसका ब्लड प्रेशर 200 से ज्यादा हो गया। मरीज के ऑपरेशन में सबसे बडा कार्य मरीज की गॉठ को बिना छेडें उसको निकालना था क्यों कि जरा भी गॉठ को छेडने पर मरीज का ब्लड प्रेशर बड सकता था जिसके कारण मरीज को ब्रेन हेमरेज हो सकता और मरीज की जान भी जा सकती थी। ऑपरेशन में कई तरह की जटिलता थी,जिसमें निश्वेतना विभाग की टीम के लिए एक बड़ी चुनौती थी कि ऑपरेशन के दौरान मरीज का बीपी बहुत ज्यादा प्रभावित कर सकता है साथ ही इसमें गांठ को टच करते ही बीपी का बढ़ जाना जिसके चलते मरीज को नुकसान हो सकता है दूसरा ऑपरेशन के बाद गांठ को निकालते ही बीपी अचानक से कम हो जाना जिसको नॉर्मल करना अपने आप में किसी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन पीएमसीएच में उपलब्ध बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रचर एवं उच्च स्तरीय चिकित्सको की टीम के चलते यह सर्जरी सम्भव हो सकी।
डॉ. राठौड ने स्पष्ट किया कि यूरिनरी ब्लेडर फियोक्रोमोसाइटोमा में एड्रेनालाईन और नॉरएड्रेनालाईन हार्मोन के उच्च स्तर का उत्पादन होता है। जो उच्च रक्तचाप, सिरदर्द, पसीना और पैनिक अटैक के लक्षण पैदा कर सकता है। यदि फियोक्रोमोसाइटोमा का इलाज नहीं किया जाता है, तो शरीर की अन्य प्रणालियों को गंभीर या जीवन-घातक क्षति हो सकती है। चिकित्सा विज्ञान के इतिहास में यूरिनरी ब्लेडर फियोक्रोमोसाइटोमा से सम्बन्धित कुछ ही केस दर्ज है। मरीज का आरजीएचएस योजना के अर्न्तगत निःशुल्क ऑपरेशन किया गया,मरीज पूरी तरह से ठीक है एव उसे छूट्टी दे दी गई है।