सुनील गोठवाल
उदयपुर। अलख नयन मंदिर आई इंस्टीट्यूट 9 मार्च से प्रारम्भ हो रहे ग्लूकोमा(कालापानी) अन्तर्राष्ट्रीय सप्ताह के तहत 9 मार्च से दो दिवसीय ग्लूकोमा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित केरगा। अलख नयन मंदिर आई इंस्टीट्यूट उदयपुर की ग्लूकोमा विशेषज्ञ डॉ. आंचल राठौड़ ने कहा कि दुनिया में जहां हमारी दृष्टि जीवन के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, वहीं ग्लौकोमा(जिसे काला पानी काला मोतिया या झामर कहते हैं ) एक ऐसा रोग है जो विश्वभर में अपरिवर्तनीय अंधेपन का एक प्रमुख कारण है। यह एक ऐसा रोग है जो ऑप्टिक तंत्रिका (जो मस्तिष्क तक दृष्टि की जानकारी पहुंचाती है )को प्रभावित करता है और यदि समय पर उपचार न किया जाए तो धीरे-धीरे और अपरिवर्तनीय रूप से दृष्टि का ह्रास हो सकता है।
वे आज अलख नयन मंदिर आई इन्स्टीट्यूट आज से प्रारम्भ हुए अन्तर्राष्ट्रीय कालापानी सप्ताह के तहत नैत्र रोगियों में जागरूकता फैला रहा है। डॉ. राठौड़ ने बताया कि भारत में ग्लौकोमा के 1.19 करोड रोगी है, और अंधत्व की व्यापकता 89 लाख है। ग्लौकोमा भारत में 12.8 प्रतिशत अंधत्व के लिए जिम्मेदार है। दुर्भाग्यवश, आम जनता इस बीमारी के बारे में बहुत कम जानती है, जिससे अधिकांश मामलों का निदान नहीं हो पाता। भारत में यह संख्या और भी चिंताजनक है, क्योंकि यहां लगभग 90 प्रतिशत मामले बिना निदान के ही रह जाते हैं।
रोग की समझ- उन्होंने बताया कि ग्लौकोमा के कई कारण होते हैं, जिनमें आंख का इंट्राओक्यूलर प्रेशर (आंख के अंदर का दबाव) बढ़ना एक प्रमुख कारण है। आंख के भीतर एक द्रव( एक्वस ह्यूमर) बनता है, जिसकी मात्रा और निकासी के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक होता है। जब इस द्रव का उत्पादन बढ़ जाता है या इसकी निकासी में बाधा उत्पन्न होती है, तो आंख के अंदर दबाव बढ़ जाता है, जो लंबे समय में ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाता है।
जोखिम कारक और लक्षण- यह एक सामान्य मिथक है कि ग्लौकोमा केवल वृद्धावस्था में होता है। हालांकि यह किसी भी उम्र में हो सकता है, यदि आप 40 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, आपके परिवार में ग्लौकोमा का इतिहास है, या आपको मधुमेह, अस्थमा, उच्च रक्तचाप या थायरॉइड जैसी बीमारियां हैं, तो आपके इस रोग से प्रभावित होने की संभावना अधिक हो सकती है। इसके अलावा, यदि आपकी आंख में कोई चोट लगी हो या आप लंबे समय तक स्टेरॉइड दवाओं का सेवन कर रहे हों, तो भी ग्लौकोमा होने की संभावना बढ़ जाती है।
दुर्भाग्य से, अधिकांश रोगियों को शुरुआती चरणों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते, इसलिए वे डॉक्टर के पास नहीं जाते। कुछ मामलों में सिरदर्द, रोशनी के चारों ओर रंगीन घेरे दिखना या उन्नत स्थिति में परिधीय दृष्टि का ह्रास हो सकता है। प्रारंभिक लक्षणों की कमी के कारण नियमित आंखों की जांच आवश्यक होती है।
उपचार विकल्प-हालांकि इस रोग का कोई स्थायी इलाज नहीं है, इसे रोका जा सकता है ताकि यह आगे न बढ़े। यदि आपको ग्लौकोमा होने का संदेह है या इसका निदान हो चुका है,, तो आपका नेत्र चिकित्सक कुछ कंप्यूटराइज्ड परीक्षण करवाने की सलाह दे सकते हैं,, और रोग की प्रकृति और गंभीरता के आधार पर आपको आई ड्रॉप्स, लेजर या सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि चाहे सर्जरी हो या आई ड्रॉप्स का उपयोग, नियमित नेत्र परीक्षण जरूरी है ताकि रोग की प्रगति रोकी जा सके,, ठीक वैसे ही जैसे आप मधुमेह या रक्तचाप के लिए नियमित जांच करवाते हैं।
उन्होंने बताया कि एक महिला जो दोनों आंखों में गंभीर ग्लौकोमा से पीड़ित थीं, बहुत चिंतित थीं क्योंकि उन्हें परिधीय दृष्टि का भारी नुकसान हुआ था, जिससे वे न तो अकेले सड़कों पर चल पाती थीं और न ही सामाजिक कार्यक्रमों में भाग ले पाती थीं। सही परामर्श और उपचार के बाद उन्होंने सर्जरी करवाने का निर्णय लिया। आज,, भले ही उनका रोग पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ हो,, लेकिन इलाज के बाद उनकी जीवन गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और वे अपना सारा काम स्वयं कर पाती हैं। उनकी नियमित क्लिनिक विजिट हमें यह याद दिलाती है कि आशा अब भी बाकी है और सही उपचार से उन्नत रोगियों की जीवनशैली में सुधार हो सकता है।
डॉ. राठौड़ ने बताया कि ग्लौकोमा का प्रारंभिक निदान इस रोग को नियंत्रित करने और दृष्टि बचाने की कुंजी है। लेकिन अधिकांश लोग तब तक इसे गंभीरता से नहीं लेते जब तक बहुत देर न हो जाए। इसलिए मैं सभी से आग्रह करती हूं कि वे इस रोग और इसके जोखिम कारकों के बारे में जागरूक हों और अपने परिवार के साथ-साथ स्वयं की नियमित नेत्र जांच करवाएं। इस तरह हम इस खतरनाक रोग से लड़ सकते हैं और दृष्टि की इस अनमोल धरोहर को सुरक्षित रख सकते हैं।
अलख नयन मंदिर नेत्र इन्स्टीट्यूट के मेडिकल निदेशक डॉ. एल.एस.झाला ने बताया कि अलख नयन मंदिर और उदयपुर ऑप्थल्मोलॉजिकल सोसाइटी के तत्वावधान में ग्लौकोमा जागरूकता बढ़ाने के लिए दो कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। 9 मार्च को सुबह 6.30 बजे फतेहसागर पाल पर ग्लौकोमा जागरूकता वॉक का आयोजन होगा, जहां डॉक्टर और समाज के लोग एकजुट होकर इसके प्रति जागरूकता फैलाएंगे।
10 मार्च को शाम 7 बजे,,थर्ड स्पेस, उदयपुर में फोटोग्राफी, क्राफ्ट और पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के लोग कला के जरिये ग्लौकोमा बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने में योगदान देंगे। 15 को मार्च को अलख नयन मंदिर आई इंस्टीटूट, प्रताप नगर में सभी मरीजों को फ्री ग्लौकोमा स्क्रीनिंग की सुविधा प्रदान की जाएगी। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य जनता को शिक्षित करना और ग्लौकोमा की शीघ्र पहचान व उपचार को प्रोत्साहित करना है।