स्वैछिकता भविष्य विषयक परिचर्चा
उदयपुर। जब तक समाज दर्शक बनकर बैठा रहेगा, ईमानदार व जन सेवाभावी नेतृत्व नहीं आएगा, ईमानदार नेतृत्व में जनता का विश्वाास पैदा नहीं होगा, समाज में रचनात्मक व विकासोन्मुखी परिवर्तन नहीं आएगा।
ये विचार सेवा मंदिर द्धारा आयोजित ‘स्वैछिकता का भविष्य’ विषयक परिचर्चा में राजस्थान सरकार में मंत्री भरतसिंह, विख्यात अर्थशास्त्री अभिजीत बैनर्जी, बीबीसी की पूर्व संवाददाता व प्रख्यात लेखिका विश्लेषक जूलियन ने व्यक्त किए।
सर मार्क टली पूर्व विदेश सचिव जगत मेहता प्रमुख शासन सचिव अदिति मेहता सहित स्थानीय व देश-विदेश के गणमान्य नागरिकों, बुद्धिजीवियों एवं स्वैछिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। आरम्भ में सेवा मंदिर की प्रन्यासी नीलिमा खेतान व मुख्य संचालिका प्रियंकासिंह ने समाज, राजनैतिक व्यवस्था एवं स्वैच्छिक जगत के समक्ष चुनौतियों को रेखांकित किया।
लोक निर्माण विभाग के मंत्री भरत सिंह ने कहा कि ईमानदार राजनीति करने वाले व्यक्ति का क्या भविष्या है। उन्होंने स्पष्टय कहा कि जब संरपंच कहता है कि उनकी कोई नही सुनता और जब मेरे जैसे मंत्री एक दिन में मिलने वाली समस्त दरख्वानस्तों का निस्तारण उसी दिन नहीं कर पाते तो पूरी व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लगता है। समाधान तभी है जब नागरिक भी सेवा व समर्पण के भाव से विकास के कार्यों में जुडें।
जूलियन ने कहा कि सरकार में जिम्मेदारी का भाव कम है। ब्रिटिश राज की मानसिकता अब तक खत्म नहीं हुई। ईमानदार राजनीतिज्ञ बेबस महसुस कर रहा है। पुर्ण निष्ठाश व निस्वार्थ भाव से लम्बे समय तक सतत् समाज हित में जुड़ने से ही व्यापक व प्रभावी विकास हो सकेगा।
विख्यात अर्थशास्त्री अभिजीत बैनर्जी ने कहा कि पंचायतीराज के विभिन्न विषयों पर बनी समितियों में लोगों के नाम तो है लेकिन संबधित लोगों को पता नहीं कि वे समिति में सम्मिलित कर लिए गए हैं। पंचायतीराज की विभिन्न संस्थाओं, इकाईयों व समितियों में प्रभावी व वास्तविक जन सहभागिता जरूरी है।
संवाद में मोहनसिंह कोठारी, रियाज तहसीन, विक्रम मेहता, विजया खान, अजय मेहता, एस के वर्मा, डॉ.एम पी शर्मा, प्रो. उदय मेहता, बी एल मंत्री, डॉ. एच. एस. चुण्डावत, रोनक शाह, शांतिलाल भण्डारी, मन्नाराम डांगी, मो. याकूब खान, नंदकिशोर शर्मा, अनिल मेहता, विकास तलेसरा, डॉ. अरूण जकारिया, डॉ. आर. सी. पुरोहित व अभिषेक जैन आदि सहित गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया।