udaipur. मान को छोड़े बिना कभी महान नहीं बना जा सकता। चाहे घरेलू झगड़े हो या पारीवारिक, सामाजिक हो या राजनैतिक सभी झगड़ों का कारण मान, कषाय और अहंकार ही होता है। मान कषाय की पुष्टि के लिए हम दूसरों को अपने से नीचा दिखाना चाहते हैं।
मान कषाय के कारण ही इंसान दूसरों की हंसी और मजाक उड़ाते हैं। और इस तरह उन्हें अपमानित करने में इंसान को मजा आता है। इसीलिए कहा गया है कि रोगों की जड़ खांसी और झगड़े की जड़ हांसी।
उक्त विचार सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में चातुर्मास के अवसर पर आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने व्यक्त किये। आचार्यश्री ने कहा कि मान और कषाय ही हमें आगे बढऩे से रोकता है। इंसान इन्हीं कारणों से तरक्की नहीं कर पाता और जीवन में आगे भी नहीं बढ़ पाता है। जब तक हम मान और कषाय का त्याग नहीं करेंगे तब तक इंसान महान नहीं बन सकता।
आदिनाथ सेवा समिति के अध्यक्ष भंवरलाल मुण्डलिया ने बताया कि सोमवार को धर्मसभा के प्रारम्भ में दीप प्रत्वलन संतरामपुर से आये हुक्मीचन्द गडिय़ा परिवार ने किया। चातुर्मास समिति के महामेत्री प्रमोद चौधरी ने बताया कि 2 अगस्त को रक्षा बन्धन के अवसर पर 700 श्रीफल मुनिराजों को चढ़ाये जाएंगे। मंदिर के पास बने विशाल सम्मेद शिखर पर्वत पर श्रेयांसनाथ को 11 किलो का निर्वाण लड्डू चढ़ाया जाएगा।