अस्थल मंदिर में 10 को जन्माष्टमी
udaipur. भगवान श्रीकृष्ण का बाल स्वरूप धारण कर आए नन्हें बच्चे मानों स्वयं कृष्ण को ही साकार कर रहे थे। बिल्कुंल वही अठखेलियां, माखन चुराकर खाना और खाते समय मुंह पर लग जाना आदि भाव भंगिमाएं देखकर अभिभावक भी हर्षाए। वहीं कुछ नन्हें कृष्णों को वेशभूषा नहीं भाई तो वे रुआंसे भी हुए।
ऐसी ही कुछ स्थिति थी शहर के विभिन्न स्कूलों में जहां जन्माष्टमी हर्षोल्लास से मनाई गई। किड्सजी स्कूल के कोर्ट चौराहा एवं सेक्टर 4 स्थित शाखा में भी जन्माष्टमी का पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया।
एमडीएस स्कूल की हिरण मगरी व प्रताप नगर शाखा की किड्स वर्ल्ड शाखा में श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं की झांकियां सजाई गई। नन्हें मुन्ने कृष्ण-राधा, ग्वाल बाल, सुदामा तथा गोपियों का रूप धर आए तो ऐसा लगा मानों सारा ब्रज एक जगह एकत्र होकर कृष्ण का जन्मोत्सव मना रहा है। स्कूल की सीनियर शाखा में विद्यार्थियों ने भजन प्रस्तुतियां दी। स्कूल निदेशक शैलेन्द्र सोमानी ने कृष्ण जन्म के बारे में बच्चों को बताया।
हिरणमगरी से. 11 स्थित आलोक सीनियर सैकंडरी स्कूपल में आयोजित कार्यक्रम में बालकों को संबोधित करते हुए निदेशक डॉ. प्रदीप कुमावत ने कहा कि श्रीकृष्ण के कार्य करने और उनके पीछे भाव में अंतर रहता था। श्रीकृष्णम के जीवन से कुशल प्रबंधन सीखा जा सकता है। दुनिया में पुरुष केवल एक ही है श्रीकृष्णथ और बाकी सब गोपीजन हैं। कृष्ण रस की अनुभूति के लिए बाल स्वुरूप को अपने घर के मंदिर में पूजा जाना चाहिए। इसी प्रकार किड्स प्लेतनेट में भी जन्मा्ष्ट मी हर्षोल्लापस से मनाई गई। बच्चों का कुमावत ने माखन मिश्री से मुंह मीठा कराया। संचालन पुष्पा शर्मा ने किया।
द यूनिवर्सल स्कूपल में मटकीफोड़ कार्यक्रम हुआ। इसके साथ बेस्ट राधा कृष्ण एवं नृत्यय नाटिका का आयोजन भी किया गया। नृत्य नाटिकाएं राधा कृष्ण पर आधारित थीं जिनमें बच्चों ने उत्साह से प्रदर्शन करते हुए प्रस्तुतियां दी। मुख्य आकर्षण मटकीफोड़ में ऊपर बंधी मटकी फोड़ कर दही माखन खाया और कृष्णश की शरारतों को जीवंत किया। मुख्य अतिथि सर्व धर्म मैत्री संघ के फादर नोबर्ट हरमन थे। विशिष्ट अतिथि स्कूल के निदेशक संदीप सिंघटवाडि़या थे। संचालन नूपुर पालीवाल व बूशरा खान ने किया।