समता के साथ सुकुमाल आशीष
udaipur. ठोकर खाकर मुस्कुराने का नाम ही जिन्दगी है, मुस्कुराकर गम को भुलाने का नाम ही जिन्दगी है। सफलता पर खुश हुए तो क्या, अरे हार कर भी खुशियां मनाने का नाम जिन्दगी है। आचार्य सुकुमालनन्दी ने 34वें समता दिवस के अन्तिम दिन टाऊन हॉल प्रांगण में समता के साथ सुकुमाल आशीष देते हुए प्रवचन में जीवन जीने की दिशा और दशा पर प्रकाश डाला।
आचार्यश्री ने कहा कि जिन्दगी भी एक खेल है, एक प्रतियोगिता की तरह है जिसमें हार और जीत दोनों इसके अहम हिस्से है। अगर कभी हार है तो कभी जीत भी मिलती है। दोनों क्षणों में व्यक्ति को मुस्कुराते हुए ही जीना चाहिये। इस प्रतियोगिता में आने वाली चुनौतियों का सामना करते- करते ही व्यक्ति का मानसिक, शरीरिक और भौतिक विकास होता है।
आचार्यश्री ने कहा कि आज व्यक्ति कहता है मैं दुखी हूं लेकिन देखा जाए तो दुख का असली कारण उसके स्वयं का दुख नहीं बल्कि पड़ौसी का सुख है। वो मुझसे बड़ा कैसे, मुझसे ज्यादा सुखी कैसे। इन्हीं संकीर्ण विचारों से घिरा मनुष्य न तो स्वयं की उन्नति के लिए कुछ कर पा रहा है और ना ही परिवार, समाज और देश के लिए। समता दिवस के अन्तिम दिन आचार्यश्री ने महिला- पुरूष और बच्चों को कई तरह के संकल्प दिलवाये जिनमें मिल-जुल कर रहना, किसी की निन्दा नहीं करना, सहनशीलात रखना, सन्तों की सेवा करना, ज्ञान-धर्म के अनुष्ठान में भागीदार बनना।
यह झीलों की ही नहीं धर्म की नगरी भी है: आचार्यश्री समता के दिवस के अन्तिम दिन काफी भावुक हो गये। सारी प्रतिकूलताओं के बावजूद समूता दिवस के तीन दिवसीय अनुष्ठाान में जिस प्रकार से टाऊनहॉल प्रांगण में जनगंगा उमड़ी, इसे देखकर आचार्यश्री ने कहा कि उदयपुर सिर्फ झीलों की नगरी ही नहीं है, उदयपुर सिर्फ सुन्दरता की नगरी ही नहीं है बल्कि उदयपुर धार्मिक नगरी है, यह ज्ञान की नगरी है। छुट्टी का दिन नहीं होने के बावजूद, बारीश की बौछारों के बावजूद इतने धर्म प्रेमियों का एक साथ टाऊन हॉल में एकत्रित होना ही इस बात का प्रमाण है।
इससे पूर्व मंगलाचरण के साथ धर्मसभा प्रारम्भ हुई। समता दिवस में दो दिनों तक जो कार्यक्रम हुए उनमें भरपूर सहयोग देने वाले महानुभावों का स्वागत हुआ। समारोह में आचार्यश्री पर खूब पुष्प वर्षा की गई। समारोह में विभिन्न प्रतियोगिता में विजेताओं को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। धर्मसभा के स्वागत- सम्मान समारोह में प्रकाश चौधरी,भंवरलाल मुंडलिया सहित वर्षायोग समिति तथा आदिनाथ सेवा समिति सेक्टर 11 के पदाधिकारी उपस्थित थे।