udaipur. जो जीव सांसारिक सुखों में लिप्त रहता है, वह कभी भी आध्यात्मिक शान्ति को नहीं पा सकता, क्योंकि सांसारिक सुख बाधाओं, विध्नों, शारीरिक दुख और मानसिक सन्तापों से भरा हुआ है और यह क्षणभंगूर होता है।
उक्त विचार आचार्य सुकुमालनन्दी ने सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में व्यक्त किये। आचार्यश्री ने कहा कि जिस प्रकार दाद, चर्म रोगी अपने खुद के ऊपर खुजली खुजलाता हुआ अपने आपको सुखी अनुभव करता है, उसी प्रकार यह जीव सांसारिक सुखों का अनुभव करते समय क्षणभर के लिए सुख का अनुभव करता है, लेकिन पहले से दुगुनी वेदना का अनुभव भी करता है। आचार्यश्री ने कहा कि जिस प्रकार तलवार की धार में शहद लेकर चाटने से जीभ कट जाती है और वेदना का अनुभव होता है उसी प्रकार प्रत्येक सांसारिक सुख में दुख समाहित होता ही है।
आज होगा वरिष्ठ शिक्षकों का सम्मान
चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रमोद चौधरी ने बताया कि 5 सितम्बर को दिगम्बर जैन समाज व चातुर्मास समिति की ओर से आचार्यश्री के सानिध्य में उदयपुर शहर के वरिष्ठ शिक्षकों का सम्मान किया जाएगा।