udaipur. भौतिकता की चकाचौंध से भरे आज के युग में धर्म में आस्था रखने वाले विरले ही पुरूष हैं। जो धर्म में अटूट श्रद्धा रखता हुआ मोक्ष मार्ग में आगे बढ़ता है वह निरन्तर प्रगति करते चले जाता है। उक्त उद्गार आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में व्यक्त किये।
आचार्यश्री ने कहा कि जो लोग नास्तिक होते है वे धर्म व धर्मात्मा पुरूषों का विरोध करते हैं या अविनय करते है। धर्म में श्रद्धा करने वाला जीव सम्यग्दृ़ष्टि होता है और धर्म कार्य में बाधा डालने वाला मिथ्यादृष्टि होता है। विदेशी लोग भारत में सुख शांति पाने व धर्म का स्वरूप समझने के लिए भारत आते है और भारतीय लोग अपनी संस्कृति छोड़, कर विदेशों की तरफ पलायन कर रहे है जबकि सुख शांति धर्म कार्य मेंं ही है। जो धर्म को अंगीकार नहीं करते हैं उनसे सुख- शांति भी कोसों दूर रहती है।
महामंत्री प्रमोद चौधरी ने बताया कि 9 तारीख को आचार्य श्री का जेल में प्रवचन होगा। आदिनाथ भवन में आचार्यश्री की अमृत वाणी का रसपान करने के लिए बाहर से श्रद्धालुओं का आना लगातार जारी है।