udaipur. भूगोल मात्र कक्षा में बैठकर पढ़ने-पढाने या परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए नहीं है, वरन् व्यापक वैश्विक उद्देश्य रखने वाला विज्ञान है जो समय एवं समाज की आवश्यकताओं के अनुसार अपना महत्व स्थापित करता रहा है।
ये विचार जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सच्चिदानंद सिन्हा ने वयक्ती किए। वे श्रमजीवी महाविद्यालय के भूगोल विभाग द्वारा प्रारम्भ ‘वर्तमान विश्व में भूगोल की प्रासंगिकता, सामाजिक दायित्व एवं भविष्य‘ विषयक व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भूगोल पृथ्वी पर घटित होने वाली समस्त प्राकृतिक, मानवीय एवं सामाजिक घटनाओं एवं समस्याओं को समझकर, वहां के संसाधनों एवं पर्यावरणीय दशाओं के आधार पर ‘मानव कल्याण‘ हेतु निदान प्रस्तुत करता है। अत: भूगोलवेत्ता को अधिक से अधिक क्षेत्रों में जाकर वहां की समस्याओं से अवगत होना चाहिए, क्योंकि एक भूगोलवेत्ता धरातलीय, पर्यावरणीय एवं मानवीय ज्ञान के कारण समस्याओं का समाधान अन्य विज्ञानों की अपेक्षा अधिक त्वरित व समुचित प्रकार से करने में सक्षम है। इस प्रकार भूगोल एक ‘समन्वित विज्ञान‘ जो अन्य सभी भौतिक एवं सामाजिक विज्ञानों को जोड़ने का कार्य करता है तथा समस्त विज्ञानों की ‘जननी‘ है। अध्यक्षता सामाजिक विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता डॉ. प्रदीप पंजाबी ने की। स्वागत उद्बोधन विभागाध्यक्ष डॉ. सुनीता सिंह ने दिया। संचालन डॉ. लालूराम पटेल ने किया।
इस अवसर पर भूगोल विभाग के डॉ. आर. पी. नारानीवाल, डॉ. पंकज रावल, डॉ. युवराज सिंह राठोड, हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मलय पानेरी, समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. संजय मिश्रा एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।