udaipur. आचार्य अभिनंदनसागर महाराज ने कहा कि जिस प्रकार हम प्रतिदिन नये वस्त्र पहनने के लिए पुराने वस्त्र हटाते है ठीक उसी प्रकार आत्मा के लिए शरीर भी एक वस्त्र ही है। वह भी एक निश्चित समयावधि पश्चात एक शरीर को त्याग कर दूसरे शरीर को धारण कर लेती है। इसलिए इस शरीर के प्रति अधिक मोह नहीं रखना चाहिए।
उन्होनें आज बीसा हुमड़ भवन में आयोजित धर्मसभा में बोलते हुए उक्त बात कही। उन्होनें कहा कि यह शरीर भी वस्त्र के समान ही है। चेतन ने अनंत बार एक से एक बढिय़ा और घटिया से घटिया तन को धारण कर बदला है फिर इसके बदल जाने पर शोक क्या है। अगले तन की सुशीलता इसी तन के संतुलन से निश्चित की जा सकती है।
चातुर्मास समिति अध्यक्ष जनकराज सोनी ने बताया कि कल प्रात: साढ़े आठ बजे बैंक तिराहे पर तीन मुनराज का कैश लोच कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। प्रचार-प्रसार समिति संयोजक हेमन्त गदिया ने बताया कि कैश लोच समारोह पश्चात आचार्य अभिनंदन सागर महाराज तेरापंथ भवन में आयोजित तपस्वियों के सम्मान समारोह में सम्मिलित होंगे।