udaipur. चित्तौडग़ढ़ सांसद एवं लोकसभा की सचेतक डा. गिरिजा व्यास ने कहा कि आजादी के बाद हमें राजस्थानी भाषा के लिये जो करना था वो भूल-चूक हम अब सुधारेगें। उन्होंने कहा कि राजस्थानी का भोजपूरी के साथ ही मान्यता दिलवायेंगे।
वे शनिवार को राजस्थानी भाषा साहित्य अकादमी बीकानेर, गांधी मानव कल्याण सोसायटी तथा डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के साझे में शनिवार को उदयपुर संभाग के राजस्थानी भाषा के साहित्यकारों का सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए समारोह को संबोधित कर रही थीं।
सांसद vyas ने कहा कि राजस्थानी का लोक एवं संत साहित्य के साथ दर्शन विज्ञान, गणित से जुड़ा भी पुराना साहित्य बहुत है, उस पर भी काम करना चाहिये। उन्होंने साहित्यकारों से कहा कि साहित्यकार अपनी सृजन क्षमता से मातृभाषा राजस्थानी को समृद्व बनायें। पद्म विभूषण प्रो. जगत मेहता ने मातृभाषा की सेवा का संकल्प लेने का आव्हान किया। rajasthani language साहित्य अकादमी बीकानेर के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा कि जो व्यक्ति अपनी मातृभाषा एवं मातृभूमि को याद रखेगा तभी उसकी संस्कृति बचेगी।
डा. राजेन्द्र बारहठ ने कहा कि राजस्थानी भाषा आंठवी अनूसूची में जुडऩे से देश के अन्य प्रान्तों के युवाओं के समान राजस्थानी युवाओं को आईएएस परीक्षा में राजस्थानी माध्यम एवं 600 अंकों का ऐच्छिक पेपर मिल सकेगा। साक्षात्कार में भी भाषा की सुविधा एवं रेल्वे परीक्षा, आर.ए.एस. , टेट परीक्षा में राजस्थानी प्रश्न—पत्र मिलेगा। उन्होंने कहा कि राजस्थान की संस्कृति नीति, राजस्थानी फिल्म डवलपमेन्ट को-ऑपरेशन का बनाना आवश्यक है। राज्य में अभिलेखिय एवं प्राच्य विद्या की अपार सामग्री है। इसलिये देश में प्राच्य विद्या विश्वविद्यालय राजस्थान में बन सकता है। उन्होंने कहा कि अनिवार्य शिक्षा कानून को लागू करने की दिशा में पहला कदम एसआईईआरटी द्वारा तैयार पुस्तक का शीर्षक ‘हमारा राजस्थान’ का नाम ‘आपणो राजस्थान’ एवं माध्यम राजस्थानी किया जा सकता है।
उद्घाटन सत्र के प्रारम्भ में डा. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय एस. मेहता ने स्वागत भाषण दिया। धन्यवाद राजस्थानी भाषा साहित्य अकादमी के सचिव पृथ्वीराज रत्नू ने ज्ञापित किया। दूसरे सत्र में उदयपुर रेंज के आईजी टी. सी. डामोर ने कहा कि मातृभाषा में साहित्य का सृजन साहित्यकार एवं समाज का सौभाग्य होता है। डामोर ने कहा कि साहित्यकारों का सम्मान कर समाज अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता है। मुख्य अतिथि मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आई. वी. त्रिवेदी थे।
अध्यक्षीय उद्बोधन में राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष वेद व्यास ने कहा कि राजस्थानी अकादमी का गठन, आकाशवाणी में राजस्थानी में समाचार वाचन, आर.पी.एस.सी. में राजस्थानी, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं विश्वविद्यालय में राजस्थानी पाठ्यप्रकाश बनवाए गए। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये दयालचन्द्र सोनी को मरणोपरान्त राजस्थानी साहित्य सम्मान से नवाजा गया जिसे उनकी 90 वर्षीय पत्नीम ने ग्रहण किया। उदयपुर संभाग के राजस्थानी साहित्य को आगे बढ़ाने एवं लेखन को बल प्रदान करने के लिये पुरूषोत्तम पल्लव उदयपुर, शुभकरण सिंह उज्जवल मावली, डा. हर्षवर्धन सिंह राव डूंगरपूर, हरीश व्यास प्रतापगढ़, शकुन्तला सरूपरिया उदयपुर, इकबाल हुसैन ‘इकबाल‘ उदयपुर, प्रो. जी.एस. राठौड़ उदयपुर, माधव दरक कुंभलगढ़, शिवराज सोनवाल रंगकर्मी उदयपुर, लोकेश मेनारिया राजस्थानी फिल्म निर्देशक उदयपुर इत्यादि को शॉल, सम्मान पत्र एवं प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। सम्मान सत्र में हरीश व्यास प्रतापगढ़ की पुस्तक ‘‘कांठळ री कोर सूं’’ एवं डा. चन्दनबाला मारू की पुस्तक ‘‘वीर हमीर देव चौहान’’ का लोकार्पण किया गया। संचालन ट्रस्ट सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने किया।