विद्यार्थियों ने जानी एयरोस्पेस रक्षा तकनीक
गिट्स में राष्ट्रीय संगोष्ठी
udaipur. भारत की आंतरिक सुरक्षा प्रणाली को और अधिक मजबूत करने की आवश्यीकता है। इसके लिए विद्यार्थियों को नए रिसर्च कर नई तकनीक का ईजाद करना होगा। ये विचार रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के गैस टर्बाइन अनुसंधान प्रतिष्ठान के पूर्व अतिरिक्त निदेशक डॉ. एस. आर. बालकृष्णन ने व्यक्त किए।
वे गीतांजली इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नीकल स्टडीज, डबोक में मंगलवार को आयोजित ‘एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी इन डिफेन्स’ विषयक राष्ट्री य संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने जासूसी उपकरणों, उपग्रहों, दुश्मीन के बारे में आंकडे़ एकत्र करने की तकनीक, दुश्मनों की संख्या की जानकारी प्राप्त करने की नई तकनीकों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने पूराने एयरक्राफ्ट यू-2, एसआर 71 (ब्लैकबर्ड) के बारे में बताते हुए जासूसी विमान व जासूसी उपग्रहों में अंतर बताया। विमानों के वेग, गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव विमानों की गति, प्रक्षेपण, तकनीकी चुनौतियों, उपग्रह प्रक्षेपण के सिस्टम के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि जासूसी उपग्रहों के माध्यम से ही पोकरण में किए गए परमाणु परीक्षण की जानकारी अन्य देशों तक नहीं पहुंच पाई थी। उन्होंने भारत व अन्य देशों के जासूसी उपग्रहों के कार्य तकनीक की भी जानकारी दी।
इसरो व डीआरडीओ से आए वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने तकनीकी बिंदुओ को समझाते हुए विद्यार्थियों की अंतरिक्ष रक्षा तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वैज्ञानिकों ने विद्यार्थियों में देश के लिए कुछ नए रिचर्स एवं डवलपमेंट कर देश सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने व रक्षा क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करने की प्रेरणा दी। संगोष्ठीस में राजस्थान टेक्नीकल यूनिवर्सिटी, कोटा, बालाजी पॉलिटेक्नीक कॉलेज, उदयपुर, सीटीएई उदयपुर व जयपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थियों ने भाग लिया। संगोष्ठीी में नई तकनीक, उच्च शिक्षा, अनुशासन, इसरो व अंतरिक्ष सस्थानों के अनुभवों को वैज्ञानिकों ने विद्यार्थियों के साथ बांटा।
इसरो की वरिष्ठञ वैज्ञानिक लक्ष्मी रमन ने आईसीबीएम (अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल) के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि मिसाइल किस तरह लक्ष्य की ओर बढ़ती है। मिसाइल को मैदान, जहाज, एयरक्राफ्ट, नौ सेना के जहाज से आदि छोडक़र दुश्मबनों पर वार किया जाता है। उन्होंने आईसीबीएम के इतिहास, मिसाइल की गति, ईधन, आवाज आदि के आंकडे़ प्रस्तुत किए। इसरो द्वारा अब तक छोड़े गए उपग्रहों व इतिहास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह जेट विमान से मिसाइल को लक्ष्य की ओर भेजा जाता है। हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, आधुनिक बेलास्टिक मिसाइल, अग्नि मिसाइल, भारत व अन्य देशों द्वारा बनाई गई मिसाइलों के बारे में विस्तार से बताया।
श्री हरिकोटा के वरिष्ठं वैज्ञानिक ए. रमन ने एयरक्राफ्ट की लैंडिग, टेकऑफ, नियंत्रण के बारे में बताते हुए मानव रहित विमान ड्रोन के बारे विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह हजारों किलोमीटर की दूरी से ड्रोन जैसे मानव रहित विमान को नियंत्रित कर लक्ष्य भेदन किया जाता है। ऐसे विमान केवल अपने लक्ष्य को भेदते है आसपास के क्षेत्र में इससे नुकसान नहीं होता है। उन्होंने बताया कि भारत में वर्तमान में कोई भी मानव रहित विमान नहीं है। इस पर अभी अनुसंधान जारी है। अमरीका ने ड्रोन विमान के माध्यम से खुद को शक्तिशाली बनाया है । उन्होंने मानव रहित विमान के कार्य करने की तकनीक, नियंत्रित करने की तरीके, भविष्यउ में आने वाली तकनीकों व समस्याओं के बारे में समझाया। इस अवसर पर फोटो निबंध प्रतियोगिता भी हुई।
इससे पूर्व संगोष्ठी के शुरूआत गीतांजली एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष जे.पी अग्रवाल, निदेशक अंकित अग्रवाल, गीतांजली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर आर.के. नाहर, डायरेक्टर बी. एल. खमेसरा, मुख्य अतिथि डॉ. एस. आर. बालकृष्ण्न, डॉ. ए. रमन, डा. लक्ष्मी रमन, बी.एल. जांगिड़ ने दीप प्रज्जवलित कर की। गोष्ठी. में बालाजी पॉलिटेक्नीक कॉलेज के आर. पी. व्यास व एनसीसी ऑफिसर देवपालसिंह भी अतिथि के रूप में शामिल हुए। डॉ. ए. रमन ने अतिथियों का स्वागत किया।
संगोष्ठीय की अध्यक्षता करते हुए जे. पी अग्रवाल ने गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पांचवें स्थापना दिवस पर विद्यार्थियों को बधाई दी। अग्रवाल ने विद्यार्थियों को नए रिसर्च एंड डवलपमेंट व हमेशा आत्मविश्वा।स के साथ आगे बढऩे को कहा। गिट्स के निदेशक डॉ. बी.एल. खमेसरा ने विद्यार्थियों को अंतरीक्ष में अब तक हासिल की उपलब्धियों के बारे में बताने के साथ ही मिसाइलमैन पूर्व राष्ट्र्पति एपीजे अब्दुल कलाम के ‘विजन 2020‘ को याद दिलाया। गीतांजली यूनिवरसिटी के वाइस चांसलर आर.के. नाहर ने विद्यार्थियों को जोश के साथ नए विचारों पर कार्य करने की सलाह दी। उन्होंने विद्यार्थियों को एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी के विकास व देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी की आवश्यॉकता के बारे में बताया। रोशिता जैन ने अतिथियों धन्यवाद ज्ञापित किया।