udaipur. हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड उदयपुर वेदान्ता समूह की दुनिया की सबसे बडी़ एकीकृत जस्ता निर्माता कम्पनी है। हिन्दुस्तान जिंक का इतिहास 1942 से शुरु हुआ जब बिहार के धनबाद के निकट तुन्दुर में जस्ता गलाने (लेड स्मेल्टिंग) का संयंत्र एक पायलेट प्रोजेक्ट के रुप में शुरु किया गया।
वर्ष 1944 में भारत के धातु निगम (मेटल कार्पोरेशन ऑफ इंडिया) का गठन हुआ तब इस कम्पनी की सभी परिसम्पतियां मेटल ऑफ इंडिया को हस्तान्तरित कर दी गई। वर्ष 1960 में मेटल कार्पोरेशन ऑफ इंडिया ने 9 हजार टन प्रतिवर्ष लेड उत्पादन का लाइसेंस प्राप्त किया। आगे चलकर 10 जनवरी, 1966 को यह कम्पनी राजस्थान में हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के साथ सम्मिलित हो गई। इसके अलावा कम्पनी द्वारा विनिवेश किया गया तथा अप्रेल 2002 में स्टरलाइट समूह द्वारा वृहद हिस्सेदारी में भारत सरकार की भागीदारी भी रही। स्टरलाइट की हिस्सेदारी 65 प्रतिशत एवं भारत सरकार की हिस्सेदारी 29.54 प्रतिशत रही है।
अप्रेल 2002 में विनिवेश के बाद से हिन्दुस्तान जिंक द्वारा राजस्थान में तीन बडी़ विस्तार परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन में पांच चरणों में 12,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। विस्तार परियोजनाओं में चन्देरिया और दरीबा में धातु गलाने के परिसरों (स्मेलटिंग कॉम्पलेक्स) की स्थापना की गई। रामपुरा आगुचा और सिंदेसर में माईन्स का विस्तार किया गया। चन्देरिया, जावद एवं दरीबा में विद्युत उत्पादन संयत्र लगाए गए। राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में पवन ऊर्जा विकास क्षेत्र विकसित किए गए।
आज हिन्दुस्तान जिंक दुनिया की सबसे बडी़ एकीकृत जस्ता निर्माता कम्पनी हैं। रामपुरा आगुचा दुनिया की सबसे बडी़ जिंक उत्पादन करने वाली खान (माईन्स) है। सिंदेसर माईन्स चांदी उत्पादन की दृष्टि से बडी़ खान है। चन्देरिया जिंक स्मेल्टिंग कॉम्पलेक्स भी जिंक गलाने का विश्व में सबसे बडा़ कॉम्पलेक्स है।
हिन्दुस्तान जिंक की समग्र अयस्क उत्पादन क्षमता आज 10.25 मिलियन टन प्रतिवर्ष (एमटीपीए) है। समस्त धातु उत्पादन में जस्ता-सीसा उत्पादन की क्षमता एक लाख मिलियन टन है। कम्पनी अपने 333 मिलियन टन भण्डार और संसाधनों के साथ आगे ब$ढ रही है और कम्पनी ने भावी विकास व विस्तार की योजनाओं के साथ व्यापारिक व्यूह रचना बनाई हैं। कम्पनी ने अपनी समर्पित टीम में 65 भूवैज्ञानिक, नवीनतम भूभौतिकीय तथा जीआईएस प्रौद्योगिकी और उच्च गति की ड्रीलिंग मशीनों के संसाधनों के साथ खनन क्षेत्र में गतिशील विकास पर फोकस किया है। हिन्दुस्तान जिंक प्लांटस,खानें और प्रगालक(स्मेलटर्स) सभी विश्व स्तरीय इकाईयां हैं जो वैश्विक पर्यावरणीय प्राद्योगिकी के साथ कार्य करती है और ये किसी भी प्रकार के प्रदूषणमुक्त हैं। कम्पनी भारत में जिंक बाजार की 85 प्रतिशत आवश्यकताओं की पूर्ति करती है।
हिन्दुस्तान जिंक चांदी उत्पादन की दृष्टि से भी भारत की प्राथमिक निर्माता कम्पनी है। कम्पनी का वर्ष 2002 में चांदी का उत्पादन 47,00 हजार किलोग्राम था जो वर्ष 2011-12 में बढ़कर 240,00 किलोग्राम हो गया है। कम्पनी का चांदी उत्पादन में 500 टन उत्पादन तक पहुंचने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने पर कम्पनी वैश्विक स्तर पर प्रमुख चांदी उत्पादकों में शामिल हो जाएगी।
हिन्दुस्तान जिंक की सभी इकाईयों के पास अपनी विद्युत उत्पादन क्षमता है। कम्पनी 474 मेगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता के साथ हरित ऊर्जा के विस्तार में भी आगे आई है। गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और राजस्थान राज्यों में 275 मेगावॉट क्षमता के पवन ऊर्जा संयत्र लगाए गए हैं।
कम्पनी के पास एक केन्द्रीय अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला भी है। इसका उद्देश्य धातु प्राप्ति में वृद्घि करना, अपशिष्ट कम से कम हो तथा इसका मूल्य संवर्धन हो इस दृष्टि से अधिकतम अपशिष्ट प्रबन्धन करना है। भारत सरकार के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआर्इआर) द्वारा प्रयोगशाला का पुनगर्ठन किया गया है तथा इस प्रयोगशाला को अमेरिकन सोसाईटी फॉर टेस्टिंग एण्ड मेटेरियल्स(ए.एस.टी.एम.) की ऑन लाइन निर्देशिका में सूचीबद्घ किया गया है। हेविट ऐसोसिएट्स के अध्ययन में यह बात सामने आई कि यह कम्पनी अपने 7 हजार कर्मचारियों के साथ भारत में दूसरे नम्बर की तथा एशिया में 25 कम्पनियों के मध्य सबसे अच्छी नियोक्ता कम्पनी है।
जस्ताि, सीसा, चांदी उत्पांदन के साथ सामाजिक सरोकारों में भी हिन्दुस्तान जिंक पीछे नहीं है। ग्रामीण समुदाय के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए स्थाई प्रयास किए गए हैं। करीब 1500 आंगनबाडी़ केन्द्रों को गोद लेकर 50 हजार बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जा रहा है। महिला सशक्तिकरण की दृष्टि से 6 हजार महिलाओं के 480 स्वयंसेवी सहायता समूह बनाए गए। ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा आईएल एवं एफएस के सहयोग से 8 हजार ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं की दृष्टि से चिकित्सा शिविर, कृषि एवं पशुधन विकास कार्य संचालित कर आदर्श गॉव विकास में योगदान किया है। ग्रामीण विकास के इन कार्यो से राजस्थान में ग्रामीण जन जीवन में उल्लेखनीय परिवर्तन आया है। कम्पनी भारत सरकार और राजस्थान सरकार के सहयोग से राजस्थान के 350 गांवों के 5 लाख से अधिक ग्रामीणों तक पहुंची है जिसमें विशेष रूप से आदिवासी जनसंख्या को विकास का लाभ मिला है।
हिन्दुस्तान जिंक को खनिज उत्पादन के व्यापार,सामुदायिक सेवा एवं पर्यावरण, व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए कई राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव भी मिला है। कम्पनी को एसोचैम सीएसआर उत्कृष्टता पुरस्कार, दून एण्ड ब्राडस्ट्रीट रोल्टा कॉपोर्रेट अवार्ड, राष्ट्रीय निर्यात पुरस्कार, आईएमसी राम कृष्णन बजाज नेशनल क्वालिटी उत्कृष्टता ट्राफी, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार, एशियन कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिब्लिटी अवार्ड, टीईआरआई कॉर्पोरेट रेस्पेंसिब्लिटी अवार्ड, एफआईएमआई सोशल अवेयरनेस अवार्ड, इन्टरनेशनल ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल अवार्ड यू.के., एशियन पॉवर सिंगापुर द्वारा उत्सर्जन में कमी लाने के लिए एशियन पॉवर अवार्ड, ब्रिटिश सुरक्षा परिषद् द्वारा स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए चार सितारा ग्रिटिंग प्रदर्शन पुरस्कार, तथा नेस्कॉम आईटी यूजर अवार्ड समय-समय पर प्राप्त हुए।