Udaipur. मोहनलाल सुखाडिया विश्व विद्यालय के लोक प्रशासन विभाग तथा राजस्थान पुलिस उदयपुर रेंज के संयुक्त तत्वावधान में पुलिस लाइन सभागार में हुई मौताणा विषयक राष्ट्री य संगोष्ठी के समापन सत्र के अध्यक्ष जिला कलक्टर विकास एस भाले ने कहा कि मौताणा जैसी कुरीति जोर-जबरदस्ती से समाप्त नहीं की जा सकती, क्योंकि इससे जनजाति समाज हिंसक प्रतिक्रिया कर सकता है।
पुलिस एवं प्रशासनिक अमले को सावधानीपूर्वक कार्यवाही करनी होगी। उन्होने विश्वाकस दिलाया कि संगोष्ठीर में आये सुझावों पर कार्य योजना निर्मित होगी। विशिष्ट् अतिथि प्रो. एन. एस. राठौड ने कहा कि जनजाति समाज की जीवन शैली प्रकृति के समीप होती है। अत: उनका समाधान उसी परिवेश में होना चाहिये। मुख्य अतिथि रेंज के पुलिस महानिरीक्षक टी. सी. डामोर ने पुलिस अधिकारियों का आह्वान किया कि वे मौताणा, चढोतरा जैसे प्रकरणों को पूर्णत: वैज्ञानिक पद्धति से वर्णित करे तथा शोध कार्य हेतु विश्व विद्यालय का सहयोग लें। पुलिस अधीक्षक हरिप्रसाद शर्मा ने कहा कि पूरे विश्व में मानव स्वभाव एक जैसा है। किसी भी समाज का पतन भले लोगों की निष्क्रियता के कारण होता है। आज समाज का नेतृत्व नकारात्मक लोग कर रहे हैं। अत: हमे खुद के गिरेबान में झांक कर सुधारों की शुरूआत स्वयं से करनी होगी। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कालूराम रावत ने सुझाव दिया कि मौताणा जैसी घटनाओं का विस्तृत डेटाबेस तैयार होना चाहिये व इन प्रकरणों मे सहायता करने वालों को पुरूस्कार मिलना चाहिये तथा केस ऑफिसर स्कीम का सहारा लेकर व विस्थापित लोगों का पुर्नवास कर इस समस्या से मुक्ति पायी जा सकती है।
सुबह के सत्र में विशिष्टय आंमत्रित वक्ता इतिहासकार डॉ. सुरेन्द्र डी. सोनी ने कहा कि जिन आदिवासियों को हम असभ्य मानते हैं वह हमसे अधिक शिक्षित, स्वावलम्बी तथा संस्कारवान होते है। बंद समाज होने के कारण व हमेशा सामुदायिक असुरक्षा के भाव से ग्रस्त रहते हैं। आज संगो_ठी में दो दर्जन शोध पत्र पढे गये। जिनमें डॉ. चक्रपाणी उपाध्याय, डॉ सुमित्रा शर्मा, डॉ विद्या मेनारिया, डॉ प्रज्ञा जोशी, डॉ अनिल पालीवाल, डॉ जोशी, मीना सुहेल, डॉ आरसी प्रसाद झा तथा श्री गंगाराम मीणा सम्मिलित थे। सभी अथितियों को कुमारी विश्वा, चौधरी ने धन्यवाद दिया। संचालन डॉ गिरिराज सिंह चौहान ने किया।