शिल्पग्राम उत्सव—2012
कला व संस्कृति से एकजुटता को बढ़ावा : संस्कृति मंत्री
udaipur. संस्कृति मंत्री चन्द्रेश कुमारी कटोच ने कहा कि कला और संस्कृति से देश में एकजुटता को बढ़ावा मिलता है। यह बात उन्होंने रविवार शाम पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित राष्ट्रीय हस्त शिल्प एवं लोक कला उत्सव ‘शिल्पग्राम उत्सव—2012’ के समापन अवसर पर कही।
दस दिवसीय उत्सव के समापन अवसर पर शिल्पकारों ने कलात्मक वस्तुओं की दिल खोल कर बिक्री की वहीं रंगमंच पर लोक कलाकारों की धमाल से दर्शक व कला प्रेमी झूम उठे। इस अवसर पर लोक वाद्य यंत्रों की सिम्फनी में तार वाद्य, फूँक वाद्य, ताल वाद्यों ने अपने सुर ताल के संगम से दर्शकों को थिरकाया। संस्कृति मंत्री कटोच ने शुरूआत ‘राम राम’ से की। इसके बाद उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक केन्द्रों की स्थापना की योजना श्रीमती इंदिरा गांधी के समय प्रारम्भ हुई तथा स्व. राजीव गांधी ने इन केन्द्रों की रचना कर देश में एकता और भाई चारे का स्वप्न देखा। भारत में ऐसे सात केन्द्र हैं जो कला के प्रंोत्साहन क कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक केन्द्रों का रजत जयन्ती समारोह पंचकुला में मनाया गया है तथा सभी जगह आयोजन हो रहे हैं। संस्कृति मंत्री श्रीमती कटोच ने इस अवसर पर कहा कि पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के इस आयोजन से देश के विभिन्न राज्यों की कला व शिल्प को एक साथ देखने का अवसर मिला उन्होंने शिल्पग्राम उत्सव में जोड़े गये नये आयामों की भी प्रशंसा करते हुए केन्द्र के अधिकारियों व कर्मचारियों को बधाई दी। सांसद रघुवीर सिंह मीणा ने इस अवसर पर कहा कि शिल्पग्राम उत्सव के आयोजन से हमें कई कलाओं को देखने का अवसर मिला। उत्सव में पहली बार सम्मिलित सैण्ड आर्ट की तारीफ करते हुए कहा कि लोगों को आगामी वर्षो में कई नई कलाएँ देखने को मिलेगी।
लोक कला व शिल्प परंपरा के प्रोत्साहन तथा शिल्पकारों को बाजार उपलब्ध करवाने के ध्येय से आयोजित इस उत्सव में विकास आयुक्त हस्त शिल्प नई दिल्ली, विकास आयुक्त हथकरघा नई दिल्ली, राष्ट्रीय पटसन बोर्ड, केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड, भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद नई दिल्ली तथा क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों की सहभागिता रही। दस दिवसीय उत्सव के दौरान एक ओर जहां लोगों को हाट बाजार में शताधिक शिल्प कलाओं के वैविध्य को देखने व खरीदने का अवसर मिल सका वहीं दूसरी ओर विभिन्न राज्यों में पसरी लोक कलाओं को निहारने का अवसर भी मिला।
इससे पूर्व केन्द्र निदेशक शैलेन्द्र दशोरा ने संस्कृति मंत्री श्रीमती कटोच का शिल्पग्राम के मुख्य द्वार पर स्वागत किया तथा शॉल भेंट किया। बाद में उन्होंने केन्द्र की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए शिल्पग्राम उत्सव की कलात्मक व सृजनात्मक प्रवृत्तियों की जानकारी दी। समापन पर ही श्री दशोरा ने उत्सव को सफल बनाने में योगदान देने वाले जिला प्रशासन, पुलिस विभाग, नगर विकास प्रन्यास, नगर परिषद्, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, एक्सिस बैंक, आई.डी.बी.आई. बैंक इत्यादि के प्रति आभार प्रदर्शित किया। इस अवसर पर शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती निलीमा सुखाडिय़ा भी मौजूद थी।
समापन अवसर पर मुख्य रंगमंच पर कार्यक्रम ‘‘माटी के रंग’’ की शरूआत कचरे खां मांगणियार के गायन से हुई इसके बाद हिमाचल का नाटी पेश किया गया। इस अवसर पर मणिपुर का पुंग चोलम में नर्तकों की तारतम्यता व पुंग वादन श्रेष्ठ बन सकी। मणिपुर के ही कलाकारों ने स्टिक डांस में तीन लकडिय़ों को संतुलन के साथ उछाल कर दर्शकों को लुभाया।
कार्यक्रम में गुजरात का सिद्दि धमाल तथा फोक सिम्फनी झंकार प्रमुख आकर्षण रहा। लोक वाद्य मुगरवान, मसीण्डो, ताशा की थाप पर शंख ध्वनि के साथ ‘‘शोबिला हे शो बिला…’’ गीत पर अफ्रीकी मूल के सिद्दि कलाकारों ने अपनी थिरकन तथा भाव भंगिमाओं से दर्शकों को न केवल रिझाया वरन उनहे अपने साथ थिरकाया भी। समापन पर ही देश की माटी से जुड़े लोक वाद्यों की सिम्फनी ‘झंकार’ ने कला प्रेमियों के कानों में लोक संगीत के सुर ताल संगम से रूबरू करवाया। समापन अवसर पर ही पाइका, भपंग, कालबेलिया की प्रस्तुति दर्शनीय बन सकी वहीं उत्तर प्रदेश का मयूर नृत्य कार्यक्रम की मोहक प्रस्तुति रही। इससे पूर्व दस दिवसीय उत्सव के अंतिम दिन शिल्पग्राम परिसर में लोगों का मानो सैलाब सा आ गया। दोपहर से लेकर देर शाम तक शहरवासियों का रेला मानो शिल्पग्राम में निकल पड़ा। लोगों ने आखिरी दिन भी खूब खरीददारी की तथा मेले का आनन्द उठाया।