Udaipur. भाग्य से ही सब कुछ नहीं मिलता। सिर्फ भाग्य भी कुछ नहीं होता। कर्म से सीधे सीधे भाग्य जुड़ा है। आप सिर्फ कर्म करो, भाग्य स्वत: अपने साथ आ जाएगा। यह मानना है उदयपुर के जाने माने उद्यमी और खेल संगठनों से जुड़े आर. के. धाबाई का। अपने नाम में ही राधा और कृष्ण को समाहित किए सहज और सरल स्वभाव के राधाकृष्ण धाबाई जितने धनवान, उतने ही मन से कोमल और नम्र।
राजस्थान कुश्ती संघ के प्रदेशाध्यक्ष और राजस्थान कायाकिंग एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव का पद संभाल रहे धाबाई ने www.udaipurnews.in से विशेष बातचीत में कहा कि सरकार को खिलाडि़यों के लिए कुछ करना चाहिए। हम अपने स्तर पर भी हरसंभव प्रयास कर रहे हैं लेकिन कब और कहां तक? जहां खिलाड़ी हैं, वहां की बजाय ऐसी जगह एकेडमी खोलने की बात सुनने में आ रही है जहां खेल नाममात्र को नहीं है। एकेडमी खुलेगी तो खिलाडि़यों को खाने-पीने, ठहरने, खेलने की सुविधा आसानी से मिल जाएगी। वे अपने खेल का पूरा हुनर दिखा पाएंगे। गरीब बच्चों की नियमित रूप से प्रेक्टिस होती रहेगी।
केबल कान्ट्रेक्टर से अपना व्यवसाय शुरू करने वाले धाबाई आज शहर की जानी मानी शख्सियत हैं। फिर जो सफर शुरू हुआ, कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपनी सफलता में अपने स्टाफ को बहुत बड़ा योगदान देते हैं। अगर कर्मठ और समर्पित स्टाफ नहीं होता तो वे कुछ नहीं होते। चाहे वह पेट्रोल पम्प हो या क्रशिंग-ग्राइंडिंग प्लांट।
अभी कुश्ती संघ के चुनाव को लेकर पूर्व अध्यक्ष ने खेल विभाग को कोर्ट में घसीट रखा है। इसको लेकर विभाग ने खिलाडि़यों का टीए-डीए बंद कर दिया है। अब इनकी लड़ाई का खामियाजा खिलाड़ी क्यों भुगतें? हमारा तो यही कहना है कि जैसे भी हो, खिलाड़ी का नुकसान नहीं होना चाहिए। कुश्ती का खेल उदयपुर में तो रियासतकाल से चला आ रहा है। अखाड़ों का नाम तभी से था तो आज तक बरकरार है। आज भी कई अखाड़े संचालित हैं जिनसे आज भी पहलवान निकलते हैं और स्टेट, नेशनल, इंटरनेशनल लेवल पर खेलने की चाह रखते हैं और पूरी भी करते हैं। वर्तमान में सुशील कुमार के ओलम्पिक में पदक जीतने के बाद पहलवानों की यह ललक और जाग गई है।
राजस्थान में पहली बार कायाकिंग की उदयपुर में राष्ट्रीय स्पर्धा कराई जिसमें 750 से अधिक खिलाड़ी आए। पर्यटन नगरी की दृष्टि से यहां पर्यटन खेलों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि खिलाडि़यों के साथ पर्यटकों में भी वृद्धि हो। उदयपुर से इस खेल के लिए करीब 16-17 खिलाड़ी तैयार हुए। इनमें से दो को मैडल भी मिला। आगामी कार्यक्रमों में 29 जनवरी से मणिपुर में होने वाले कायाकिंग स्पर्धा के लिए 15 जनवरी से उदयपुर में कैम्प लगाया जाएगा। पूरे राजस्थान की बजाय उदयपुर में ही क्यों? इस सवाल पर धाबाई का कहना है कि हमारे पास कोच की कमी है। अभी भी हम अपने स्तर पर कोच की व्यवस्था करवाकर यहां ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं।