Udaipur. इंजीनियरिंग के शिक्षकों को स्थानीय परिवेश के अनुरूप अर्जित व नवीन ज्ञान को निरन्तर सिखते हुए इसे विद्यार्थियों तक पहुंचाने में सक्षम बनना होगा। ये विचार शिक्षाविद् व सामाजिक-राजनीतिक चिंतक प्रो. अरूण चतुर्वेदी ने विद्याभवन पॉलिटेक्निक सभागार में व्यक्त किए।
चतुर्वेदी तकनीकी शिक्षा निदेशालय तथा राष्ट्रीवय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण व अनुसंधान संस्थान (नाइटर), चंडीगढ़ द्वारा विद्याभवन में आयोजित अभिमुखीकण (इन्डक्शरन) कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंिने कहा कि राष्ट्रीीय सकल उत्पादकता में वृद्धि व समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए पिछडे, आदिवासी व जनजाति वर्ग को सही मायनों में तकनीकी शिक्षा देनी होगी। इसके लिए आदिवासी व जनजाति युवाओं की शैक्षिक, सामाजिक व आर्थिक पृष्ठहभूमि को समझना बहुत जरूरी है।
सीटीएई के डीन डॉ. एन. एस. राठौड़ ने कहा कि देश दुनिया में हो रहे तकनीकी बदलावों व प्रगति से तकनीकी शिक्षकों को परिचित कराना अति आवश्यनक है। इससे वे स्थानीय, सामुदायिक देश व विश्वक स्तर की विकास प्रक्रिया में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। वीडियो कांफ्रेंसिंग से आयोजित कार्यक्रम में तकनीकी शिक्षा निदेशालय, जोधपुर के निदेशक एस. के. सिंह ने कहा कि राज्य सरकार तकनीकी शिक्षा में गुणवत्ता को और अधिक सुनिश्चित करने के लिए तत्पर है। इसके लिए नाइटर चंडीगढ़ की सहायता से तकनीकी शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
नाइटर चंडीगढ के निदेशक डॉ. एम. पी. पूनिया ने तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों रूपरेखा प्रस्तुत की। पंजाब के रायतवाड़ा से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. पूनिया ने कहा कि राजस्थान सहित उत्तर भारत में तकनीकी शिक्षण प्रशिक्षण में गुणवत्ता के लिए नाइटर प्रतिबद्ध है। कार्यक्रम की राष्ट्रीषय समन्वयक डॉ. परमजीत तुलसी व संयोजक पॉलिटेक्निक के प्राचार्य अनिल मेहता ने बताया कि एक सप्ताह के इस कार्यक्रम में राजस्थान व पंजाब के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों व पॉलिटेक्निक कॉलेजों के इंजीनियरिंग शिक्षक भाग ले रहे है।