Udaipur. हुक्मगच्छीय शान्त क्रान्ति संघ के नायक आचार्य विजयराज के 41वें दीक्षा दिवस एवं 14वें तरूणाचार्य दिवस तथा महास्थविर शान्ति मुनि के 51वें दीक्षा दिवस के उपलक्ष में उदयपुर के श्रावक-श्राविकाओं एवं युवा दम्पतियों द्वारा सिरोया नवकार भवन में सामायिक की आराधना की गई।
संघ के डॉ. सुभाष कोठारी के अनुसार इन दोनों महापुरुषों के संयम दिवस को सामायिक दिवस के रूप में मनाकर इनके यशस्वी संयमीय जीवन की मंगलकामनाएं की गई। डॉ. कोठारी ने कहा कि हुक्मगच्छ की परम्परा को अक्षुण्य रखते हुए अपने जीवन में समता को आत्मसात कर संघर्षों से विचलित नहीं होकर शुद्ध संयम के आराधक बनें।
समारोह का प्रारम्भ नवकार मंत्र व देव गुरु धर्म को तीन-तीन वंदना से किया गया। भक्तामर व उवसग्गहर स्रोत के पाठ के पश्चात नमोत्थुणं की विधि सम्पन्न की गई। आचार्य विजयेश व महास्थविर जी के गुणगान स्वरूप अनेक वक्ताओं ने अपनी भावनाएं प्रस्तुत की। करण सिंह नाहर ने इसे अनूठा कार्यक्रम बताया तो दौलत सिंह खमेसरा ने आचार्यश्री की चरण रज को चमत्कारिक बताया। डॉ. राजकुमारी कोठारी ने एक ही दीप से हजार दीप जले का भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किया। दिनेश कंठालिया ने आचार्य श्री के चरित्र निर्माण अभियान से जुडऩे का आग्रह किया तो कुसुम पोरवाल, लता चपलोत, अरूणा परमार व आशा करणपुरिया ने ‘तेरी भक्ति करे हर बंदा’ गीत प्रस्तुत किया। हिम्मत सिंह मेहता ने दोनों संतों के दीर्घायु व उन्नत संघ की कामना की तो प्रतिभा मेहता के अमर रहो तुम संयम के सारथी गीत प्रस्तुत किया। आभार की रस्म संयोजक लक्ष्मीलाल बीकानेरिया ने अदा की।