मेले की बिक्री पहुंची 27 लाख
Udaipur. रूरल नॉन फार्म डवलपमेंट एजेंसी (रूडा) द्वारा टाऊनहॉल में आयोजित राष्ट्रीय क्राफ्ट मेला ‘गांधी शिल्प बाजार 2013’ में इन दिनों महिलाओं की भागीदारी अधिक देखने को मिल रही है, जिस कारण क्राफ्ट मेला अपने पूर्ण यौवन पर है। मेले की बिक्री पांचवे दिन सत्ताइस लाख पहुंच गई।
रूडा के दिनेश सेठी ने बताया कि प्रतिदिन मेले के प्रति जनता के बढ़ते आकर्षण के कारण मेले की बिक्री 27 लाख हो चुकी है। जनता की भीड़ बढ़ रही है। इसमें सहारनपुर के महाराजा वाले फर्नीचर को विशेष पसन्द किया जा रहा है। मेले में लगी चुडिय़ों की स्टॉलों पर महिलाओं की भीड़ अधिक देखी जा सकती है। मन को आकर्षित करते रंग-बिरंगे डाई फ्लावर – खाने के काम आने वाली लीची, सुपारी का छिलका, भुट्टे के छिलके खजूर सहित प्रकृति द्वारा दी गई वस्तुओं एंव साहकास लीव, पहाड़ों पर पाया जाने वाला पाइन, बजरा, बंगाल में पानी में पाये जाने वाला सोलो जैसे उत्पाद को हाथों से अलग-अलग आकार देकर उन्हें सजावटी फूलों में ढ़ाला गया है जो न केवल आंखो को सुन्दर लगते है वरन् घरों में सजकर उसकी शोभा भी बढ़ाते हैं।
पश्चिम बंगाल से आई हस्तशिल्पकार स्वाति बैनर्जी ने बताया कि जिन वस्तुओं को हम बेकार समझ कर सडक़ फेंक देते है या उन्हें हम बेकार समझ कर उपयोग में नहीं लेते हैं। ऐसी ही वेस्ट वस्तुओं का उपयोग कर उनका सजावटी यानि ऐसे डाई फ्लावर के निर्माण में उपयोग किया गया है जो घर की शोभा बढ़ा रहे है। उन फ्लावर को डाई फ्लावर इसलिए कहा जाता है कि उसमें अनेक वेजीटेबल रंगों का उपयोग किया जाता है जो पानी में डालने पर भी न उनका रंग फीका पड़ता है और न ही वे आखों पर विपरीत प्रभाव डालते है। अपनी हस्तकला में राज्य स्तरीय अवार्ड प्राप्त कर चुकी स्वाति बैनर्जी ने बताया कि वे पिछले 10 वर्षो से ऐसे डाई फ्लावर का निर्माण कर रही है। अपने कार्य में वे वेजीटेबल कलर के अलावा ग्लीटर का भी उपयोग करती है ताकि उनमें चमक आ सके। फूलों के नीचे चीन से आने वाली रंग-बिरंगी पत्तियां को जोड़ कर उसे मनचाहा रूप व रंग देती है। फैशन डिजाईंनिग का कोर्स कर चुकी स्वाति ने बताया कि यहां मेले में 10 रुपए से लेकर 80 रुपए तक का एक पीस उपलब्ध है।