नववर्ष समारोह की तैयारियां जोरों पर
Udaipur. हिन्दू नवसंवत्स र नववर्ष चार दिनी समारोह की तैयारियां जोरों पर है। इस संबंध में आलोक हिरणमगरी में शुक्रवार को नववर्ष समारोह समिति की हुई बैठक में राष्ट्री य सचिव डॉ. प्रदीप कुमावत ने कहा कि संवत्सर समग्र भारतीयों के जीवन का मूल आधार है।
भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता हैं और इसी दिन से ग्रहों, वारो, मासों और संवत्सरों को प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता हैं। आज भी जनमानस से जुडी़ शास्त्र सम्मत कालगणना व्यावहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी हैं। इसे राष्ट्रीय गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता हैं। विक्रम संवत् किसी संकुचित विचारधारा या पंथाश्रित नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष नव संवत्सर 11 अप्रेल को है। हमें पुरानी संस्कृति को जिंदा रखने के लिए हमें पुनः अपनी जड़ों की ओर लौटना पड़ेगा और संस्कृति उत्थान के कार्यक्रमों में भागीदारी और जन उत्साह को बढ़ाने की आवश्यकता है नववर्ष कार्यक्रम में अधिक से अधिक भाग लेने के लिये लोगों को प्रेरित कर रहें है। उन्होंने कहा कि हमें पुरानी संस्कृति को जिंदा रखने के लिए हमें पुनः अपनी जड़ों की ओर लौटना पड़ेगा और संस्कृति उत्थान के कार्यक्रमों में भागीदारी और जन उत्साह को बढ़ाने की आवश्यकता है नववर्ष कार्यक्रम में अधिक से अधिक भाग लेने के लिये लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। डॉ. कुमावत ने कहा कि भारतीय पंचाग के अनुसार 1 जनवरी को आज तक कभी भी किसी शुभ कार्य का मुहूर्त नहीं निकला हैं जबकि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रवरा अर्थात् वर्षभर की सर्वोतम तिथि माना गया हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्यादि कृत्य अनन्त गुना फलदायी होते हैं। इस दिन किसी भी कार्य को करने हेतु पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं हैं।
आलोक हिरण मगरी के उपप्राचार्य शशांक टांक ने बताया कि नववर्ष पर सभी समाजों के व्यक्तियों को जोड़़ने के लिये व्यापक जन सम्पर्क किया जा रहा है। साथ ही आलोक संस्थान के छात्रों की 101 टोलियाँ बनाई गयी हैं जो सभी के घर-घर जाकर छात्र, छात्राएँ विभिन्न घरों में सम्पर्क करके पीले चावल देकर लोगों को इस कार्यक्रम में जुड़ने का न्यौता दे रहे हैं। आलोक हिरण मगरी की उपप्राचार्या रेणुकला व्यास सहित सभी पदाधिकारी उपस्थित थे।