‘चाणक्य’ में किरदार निभा चुके उदयपुर बांठिया ने दिए थिएटर के टिप्स
Udaipur. थिएटर का मतलब पर्सनालिटी का प्रतिरूप है। जैसा हम देखते हैं, महसूस करते है, उसे हूबहू करने की कला को थिएटर एजुकेशन कहा जाता है। इसके लिए पर्सनालिटी डवलपमेंट की गहन आवश्यककता होती है। यह कहना है थिएटर एवं टीवी आर्टिस्ट अशोक बांठिया का।
वे सोमवार को राजस्थान विद्यापीठ के प्रतापनगर स्थित सभागार में विद्यार्थियों को थिएटर एजुकेशन व पर्सनालिटी डवलपमेंट की जानकारी दे रहे थे। उन्होंने डेमो के माध्यम से थिएटर की बारीकियां बताई। उन्होंने विभिन्न सीरियल और कलाकारों का उदाहरण देते हुए बच्चों की जिज्ञासाओं को शांत किया। चाणक्य सीरियल में अहम भूमिका निभा चुके बांठिया का मानना है कि यदि आपमें बोलने, हंसने, चलने और कुछ करने की कला नहीं हैं, तो आप थिएटर का पार्ट नहीं बन सकेंगे।
पाठयक्रम में शामिल हो थिएटर एजुकेशन : सेमिनार में बांठिया ने कहा कि थिएटर एजुकेशन का महत्व दिनों दिन गिरता जा रहा है। इसके लिए जरूरी है कि पाठयक्रमों में थिएटर एजुकेशन का पाठ पढाया जाए। इससे फायदा यह होगा कि हमारी आने वाली नई पीढी इससे दूर नहीं भागेगी तथा लुप्त होने वाली इस कला का विकास भी आसानी से संभव हो पाएगा। वर्तमान में चुनिंदा ही स्थान है जहां थिएटर को प्रमुखता दी जाती है। अन्य स्थानों पर इसकी स्थिति काफी खराब है।
व्यक्तित्व निखार करना जरूरी : सेमिनार के अध्यक्ष एवं कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि विद्यार्थियों में व्यकितत्व निखार का गुण होना बेहद आवश्यतक है। इस गुण के होने से विद्यार्थियों में सकारात्मक उर्जा भी रहती है। स्कूल स्तर पर ही पर्सनालिटी डवलपमेंट का पाठ पढाया जाना आवष्यक है। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में रंगकर्मी महेश नायक एवं रजिस्टार डॉ. प्रकाश शर्मा ने भी विचार प्रकट किए। संचालन डॉ सुनीता सिंह ने किया। स्वागत भाषण डीन डॉ सुमन पामेचा ने दिया तथा धन्यवाद मनीष श्रीमाली ने दिया।