25,000 सदस्य तथा 60,000 पेज व्यूज
लाखों वंचित बच्चों के चेहरों पर आई खुशी
Udaipur. वंचित बच्चों की देखरेख एवं इनके प्रति आमजन को जागरूक करने के लिए वेदांता समूह द्वारा ठीक एक वर्ष पूर्व सोशल मीडिया कैम्पेएन ‘खुशी’ चलाया गया जो सफलतापूर्वक एक वर्ष पूर्ण कर चुका है।
वेदांता समूह में कॉर्पोरेट कम्यु निकेशन के हेड एवं खुशी अभियान के रचियता पवन कौशिक ने बताया कि अभियान मात्र 7 लोगों ने मिलकर शुरू किया था। जैसे-जैसे हम बढ़ते गए लोग जुड़ते गये और खुशी अभियान एक महाअभियान बन गया।’ कौशिक ने कहा कि ‘खुशी अभियान’ एक ब्लॉग एवं सोशल मीडिया फेसबुक के जरिये शुरू किया गया है। ऐसे वंचित बच्चों के लिए काम करने वाले और इन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए तत्पर लोगों की कहानियां ब्लॉंग पर अपलोड की जाती हैं। फेसबुक पर इनकी शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य संबंधित चर्चाएं होती रहती हैं।
अभियान का उद्देश्यं है कि आम जनता को भारत की आज की परिस्थिति से अवगत कराना तथा समाज के इन वंचित बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ना। अभियान की महत्वपूर्ण बात यह भी कि यह एक गैर-वित्तीय अभियान है जो लोगों को आगे आने, समस्याओं को समझने और उसका समाधान तलाशने के लिए प्रोत्साहित करता है। खुशी अभियान ने एक जैसे विचारों के लोगों को साथ जोड़ा है।
कौशिक ने बताया ‘आज ‘खुशी’ अभियान 1 साल का हो गया है और हम अपने सदस्यों के साथ मिलकर प्रथम वर्षगांठ मना रहे है। इस अभियान द्वारा पहला बदलाव आम जनता की इन वंचित बच्चों की सोच में आया है।‘ अभियान के शुभारंभ के बाद से अनेकों सदस्य् आगे आएं है तथा अपने स्तर पर इन वंचित बच्चों के लिए कार्य कर रहे है। इनमें से कुछ सदस्य घर में काम करने वाले लोगों के बच्चों की शिक्षा को प्रायोजित कर रहे हैं, कुछ सदस्यों ने सड़कों या ट्रैफिक लाइट पर भीख मांगने वाले बच्चों के माता-पिता को काम दिलवा दिया है, कुछ गोद लेने के लिए आगे बढ़ चले हैं, कुछ सड़क के बच्चों को नियमित रूप से शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, कुछ उनके लिए रचनात्मक कार्यशालाओं के आयोजन में लगे हैं और कुछ सामूहिक रूप से ग्रामीण स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाएं ले रहे हैं। ‘खुशी’ के सदस्यों ने बाल श्रम की अनुमति या बच्चे को भिक्षावृत्ति को प्रोत्साहित न करने का वचन लिया है। अभियान निरंतर आगे बढ़ रहा है।
अब, पटना, लखनऊ, दिल्ली और शहरों के अन्य भाग में सदस्य सड़क के बच्चों और बाल श्रमिकों का पता लगाकर उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन करने का विचार कर रहे हैं। स्कूल भी जुड़ रहे हैं और वे अपने बच्चों को भी ऐसे अभियान में लगे रहते देखना चाहते हैं। पवन कहते हैं कि एक कंपनी के रूप में वेदांता समूह अपने तरीके से योगदान दे रहा है। कंपनी पहले ही राजस्थान, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और कर्नाटक में 5000 आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से तकरीबन 1 लाख 80 हजार बच्चों को पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य एवं षिक्षा उपलब्ध करा रही है। इन आंगनवाड़ी केन्द्रो में शिक्षण पद्धति भी अलग है। जीवन जीने के प्रति उत्साह रखने के लिए इन्हें खेलों से जोड़ा गया है। इससे उनके स्वास्थ्य, वजन और ज्ञान में काफी परिवर्तन आया है। हाल ही में करीब 9000 वंचित बच्चों को औपचारिक स्कूलों में भेजा गया है जिसमें 100 आदिवासी बच्चे शामिल है, जो उनके लिए एक सपना था।
राजस्थान में 92 स्कूलों को गोद लेकर वेदान्ता इन स्कूलों में आधारभूत बदलाव ला रहा है। ऐसे माता-पिता, जो काम की तलाश में शहर-शहर सफर करते हैं, उनके बच्चों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए वेदांता ने तमिलनाडु में एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन के साथ जुड़कर नीलगिरि क्षेत्र में 700 बच्चों को मदद प्रदान की। ‘‘खुशी’’ ने उदयपुर में यूएस के ‘स्माइल ट्रेन’ संगठन एवं जीबीएच अमेरिकन अस्पताल के साथ मिलकर 2500 बच्चों के होठ व कटे तालू के ऑपरेशन के लिए अभियान शुरू किया। जिस ऑपरेशन के लिए करीब 12 से 15 हजार रुपए खर्च होते है वह अब उनके लिए निःशुल्क उपलब्ध है। अब तक देषभर से तकरीबन 60 ऑपरेशन किये जा चुके हैं।
कंपनी ने राजस्थान में छह, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में एक-एक उच्च तकनीक की रसोइयों का निर्माण किया है जो राज्य सरकारों के सहयोग से चलाई जा रही हैं। करीब 2700 स्कूलों के ढाई लाख बच्चों को नियमित गर्मा-गर्म भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। रोटरी इंटरनेशनल उदयपुर मेवाड़ ने इस वर्ष रोटरी सामुदायिक सेवा पुरस्कार के लिए ‘खुशी’ अभियान को सम्मानित किया है। हाल में लंदन में 2012 के ओलंपिक, 2006 में दोहा में दो बार एशियाई खेलों की पदक विजेता और गुआंगजौ चीन में 2010 में और 2011 में पद्मश्री व 2010 में अर्जुन पुरस्कार प्राप्त करने वाली एथलीट, कृष्णा पूनिया भी खुशी अभियान से जुड़ गई है। द्रोणाचार्य पुरस्कार के विजेता कृष्णा के पति वीरेन्द्र पूनिया भी इस अभियान से जुडे चुके हैं।
पवन कहते हैं कि हमे समस्याओं को सुलझाने के लिए उसकी जड़ तक पहुंचने की जरूरत है। खुषी, भारत में वंचित बच्चों के लिए एक उज्जवल भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में एक प्रयास है। खुशी एक मंच है जो एक संदेश देता है कि हम अपने आधार पर इन बच्चों की देखभाल के रास्ते सुनिष्चित करें। देश में आज जरूरत है जागरूकता की और हमें इस अभियान को सभी के सहयोग से आगे बढ़ाना है तथा देश का भविष्य उज्ज्वल करना है।