पिता का उपचार पैसों के अभाव में नहीं किया था डॉक्टर ने
Udaipur. जब पिता के इलाज के लिए डॉक्टर द्वारा मांगे गए पैसे पूरे नहीं थे और अधूरे पैसों में डॉक्टuर ने इलाज करने से मना कर दिया, इस कारण उसके पिता की मृत्यु हो गई। इससे पहले महिला के ठगे जाने के बाद उसकी कुंठा इतनी बढ़ गई कि उसने लोगों को ठगना ही अपना पेशा बना लिया। इसमें भी खास तौर से डॉक्टर ही उसके निशाने पर रहे।
यह कहानी है रमेश प्रजापत की जिसने मेडिक्लेम पॉलिसी के नाम पर बीएसएनएल अधिकारी बनकर डॉक्टैर को ठगने का प्रयास किया और पुलिस के शिकंजे में फंस गया। उल्ले खनीय है कि ठगी का मास्टोर माइंड रमेश प्रजापत नेवी में पेटी ऑफिसर से रिटायर्ड है। उसके पिता के उपचार के दौरान चिकित्सठक ने मोटी रकम मांगी लेकिन भुगतान नहीं कर पाया। कम पैसे के कारण चिकित्साक ने भी उपचार करने से मना कर दिया। इससे पहले नाईजीरियाई महिला के ठगे जाने के बाद उसे डॉक्टारों से नफरत हो गई और प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों से ठगी का धंधा शुरू कर दिया। भीलवाड़ा से मुख्यउ आरोपी की गिरफ्तारी के बाद शनिवार को भूपालपुरा थाना पुलिस ने सभी को मीडिया से रूबरू कराया।
पुलिस अधीक्षक हरिप्रसाद शर्मा ने बताया कि बीएसएनएल का सीनियर ऑफिसर बनकर संजीवनी हॉस्पिटल के डॉ. अजयसिंह चूंडावत को मेडिक्लेसम पॉलिसी में मोटे कमीशन का लालच देकर ठगने का प्रयास करने वाले रमेश ने पूर्व में कानपुर में ठगी की थी। पकडे़ जाने के बाद उसे सजा हुई। जेल में उसकी मुलाकात वी. के. के. स्वाशमी से हुई जिससे उसने चालबाजियां सीखीं। दोनों ने देहरादून में पहली बार तीन डॉक्ट रों से 60 लाख रुपए ठग लिए। इसके पास करीब 16 लाख रुपए आए। वापस पुलिस के शिकंजे में फंसकर जेल चला गया। छह महीने बाद उसने अपना गिरोह बना लिया। मुंबई व औरंगाबाद में 5-5 लाख की ठगी की। एक ओर ठगी में पुलिस ने उसे पकड़ लिया। फिर बृजेश और सुरेश को जेल में अपने साथ मिला लिया और भटिंडा, बरेली, कोलकाता में ठगी के बाद छोटे शहरों की ओर रुख किया। पुलिस को इनसे करीब 10-12 मोबाइल सेट, नए-पुराने सिम कार्ड, लेपटॉप, टेबलेट, वेब कैमरा, कई ऑफर लैटर भरे हुए मिले हैं। इन पर बीएसएनएल की फर्जी सील व हस्ताेक्षर भी हैं। गिरफ्तारी की कार्रवाई में प्रशिक्षु आरपीएस सुभाष मिश्रा, प्रशिक्षु आरपीएस स्वालति शर्मा, भूपालपुरा अधिकारी सतीश मीणा, एसआई दयाराम आदि शामिल थे।