Udaipur. हिन्दू धर्म को संप्रदाय, पूजा-पद्धति नहीं बल्कि सभी को जोड़ने वाली एक सांस्कृतिक धारा बताते वाले स्वा मी विवेकानंद के विचार आज भी प्रासंगिक और आवश्यक हैं। सत्य की निरंतर खोज का नाम ही हिन्दू धर्म है।
ये विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सर कार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने स्वामी विवेकानन्द सार्द्धशती समारोह समिति द्वारा सुखाड़िया रंगमंच पर आयोजित प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन में व्यक्त किये। स्वामीजी ने विदेश की धरती पर जाकर उस समय भारत के प्रति प्रचलित धारणा कि भारत के लोग जंगली, बर्बर और गवांर है, को नकारा और वास्तविक भारतीय दर्शन का प्रतिपादन किया। उन्होने कहा कि मैं उनका प्रतिनिधि हूं जो प्राणी मात्र के सुख का चिन्तन करते हैं। भारत का दर्शन वही हो सकता है जिसमें सभी के कल्याण की बात करता हो, ‘जो सर्वे भवन्तु सुखिनः’ ‘एकम् सत्य विप्रा बहुधा वदन्ति’ का संदेश देता हो। स्वामीजी ने आग्रह किया कि शिव भाव से जीव मात्र की सेवा करना ही भारतीयों का कर्तव्य है। ये भगवावस्त्र, मठ, मंदिर केवल स्वयं की साधना के लिए ही नहीं है अपितु असहायों जरूरतमंदो की सेवा करने के लिए है। तुम तभी हिन्दू कहलाने के लायक होगें जब सामने खड़ा व्यक्ति का दुःख तुम्हे अपना लगे।
डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि समाज में फैली हुई कुरीतियों को दूर करने के लिये एक नये ग्रंथ की रचना करनी होगी। महिला शिक्षा पर जोर देना होगा। दुनिया के लोग भारतीय दर्शन को समझने लगे है। जिन स्वामीजी की आज हम 150वीं जयंती मना रहे है। यह विडम्बना का विषय है कि भारत में पैदा हुए युगपुरूष स्वामी विवेकानन्द के जन्म दिवस को ‘युवा दिवस’ के रूप में मनाने की पहल यूएनओ ने की तथा बाद में भारत में इसकी शुरूआत हुई। विवेकानन्द चाहते थे कि भारत दुनिया का नेतृत्व करें। किन्तु पहले भारत में रहने वाले असहाय, गरीब और जरूरतमंद की सेवा को प्रभु की भक्ति माने। उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म व संस्कृति में भेदभाव का कोई स्थान नहीं है। राजस्थान ने विवेकानन्द को पगड़ी पहनाकर कर एक विशेष वेश दिया।
यह गौरव का विषय है कि फोर्ड कार का मालिक हेनेरी फोर्ड का पौत्र मथुरा में आकर भगवान कृष्ण का भक्त अभिलाष दास हो गया और कहता है कि दुनिया को केवल श्रीकृष्ण का दर्शन ही बचा सकता है। मुख्य अतिथि पत्रकार सुरेश गोयल ने कहा कि यह गौरव की बात है कि भारत में युवाओं का प्रतिशत सर्वाधिक है। हमें देश को आगे बढ़ाना है तो इस युवाशक्ति को आगे लाना होगा। हम अपनी युवापीढ़ी के सामर्थ्य का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल नन्दकिशोर सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।