जिले की नदियों व बांधों को आपस में जोडऩे को वर्ष 2041 का जल प्रबंधन मास्टर प्लान तैयार
Udaipur. जल की निरंतर बढ़ रही समस्याष के मद्देनजर जिले में स्थित बांधों, नदियों को जोड़कर जल प्रबंधन की एक योजना सिंचाई विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता आर. के. चतुर ने बनाई है। यह योजना अब जिला कलक्टार, सिंचाई विभाग व राज्या सरकार को भेजी जा रही है ताकि इस पर काम हो सके।
चतुर ने आज अपने निवास पर पत्रकारों से बातचीत में बताया कि बडे़ आश्चर्य की बात है कि उदयपुर जैसे शहर में 30 हजार हैंडपंप हैं। पूरे राज्यब में कितने होंगे, इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। यही कारण है कि भूजल दोहन को लेकर उदयपुर के 29 हिस्से डार्क जोन में हैं। वर्ष 2041 तक उदयपुर शहर की जनसंख्या लगभग 12 लाख होगी। तब के लिए जल प्रबन्धन को लेकर एक मास्टर प्लान बनाया गया है जिसके जरिये न केवल शहर अपितु जिले की हर तहसील, गांव व कस्बे तक के किसानों को जल उपलब्ध हो पायेगा वरन् खेती की सिंचाई से उनकी जीवन शैली तक में काफी बदलाव हो पायेगा। इस प्लान को 5 चरणों में विभाजित किया गया है। इस मास्टर प्लान में उदयपुर का पानी उदयपुर में ही रहेगा। आज जा रहे व्यर्थ पानी के मुकाबले इसके बाद बिल्कुयल भी व्यर्थ नहीं जाएगा।
उन्होंने बताया कि प्रथम सेगमेन्ट देवास 2-3-4 है जहां बांध बनाकर 62 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बचाया जा सकेगा जबकि फतहसागर व पिछोला की कुल भराव क्षमता मात्र 25.8 मिलियन क्यूबिक मीटर है। देवास 3 व 4 का सर्वे किया जा रहा है। इस प्रोजक्ट पर लगभग 1 हजार करोड़ रूपए की लागत आएगी जिसमें से सरकार द्वारा 379 करोड़ रूपये जारी किये जा चुके है। शेष राशि से यह परियोजना पूर्ण हो जाएगी। उन्होनें बताया कि द्वितीय सेगमेन्ट के तहत झाड़ोल के निकट बिरोठी गांव में लगभग 2 हजार करोड़ की लागत का 120 मिलीयन क्यूबिक मीटर क्षमता वाला वाकल बांध बनाया जाना चाहिए। इसमें से 100 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी टीडी बांध में डाला जाएगा जहां पानी लिफ्ट कर उदयपुर लाया जाएगा। जयसमन्द से लिफ्ट कर उदयपुर लाये जा रहे पानी के अनुपात में यह पानी काफी सस्ता होगा।
वर्ष 2003 में उदयपुर वाटर सेक्टर डवलपमेन्ट परियोजना बनाने वाले चतुर ने बताया कि करीब 1500 करोड़ का सेगमेन्ट तृतीय काफी महत्वपूर्ण है। इसके तहत जयसमन्द में माही बांध का पानी बाई फ्लो लाया जा सकेगा। जाखम बांध के कमाण्ड को माही बांध से सिंचाई की जाएगी जिस कारण जखम बांध का पानी सरप्लस हो जाएगा। जाखम बांध का पानी 414.6 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता वाले जयसमन्द में बाई फ्लो फीडर कम टनल से 167 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी डाल सकेंगे। अकेले जाखम बांध से जयसमन्द कुल भराव क्षमता का एक तिहाई से अधिक पानी की आपूर्ति होगी।
चतुर ने बताया कि सेगमेन्ट 4 के तहत फुलवारी की नाल नामक स्थान पर लगभग 2000 करोड़ रुपए की लागत का वाकल नदी पर 72 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी की क्षमता वाला एक बांध बनाया जाएगा। जिसमें से 70 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी बाय फ्लो जयसमन्द में सीधा चाला जाएगा। सेगमेन्ट 5 के तहत साबरमती नदी स्टेज 2 पर लगभग 1500 करोड़ रूपयें की लागत का बांध बनाया जाएगा ताकि 75 मिलीयन क्यूबिक मीटर गुजरात जाने वाले पानी को रोका जा सके । इस पानी से कोटड़ा व झाड़ोल तहसील एंव आस-पास के गांवों में पीने के पानी की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता रहेगी और इसमें से कुछ पानी सोमकागदर में डाला जा सकेगा। इस सम्पूर्ण परियोजना में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पांच में से 4 सेगमेन्ट में पानी बाई फ्लो और एक में वह भी आधा भाग टीडी से पानी लिफ्ट कर उदयपुर लाया जाएगा। चतुर अब शीघ्र ही राजस्थान के वाटर सेक्टर डवलपमेन्ट योजना बनाने में लगे हुए है जिसे बनाकर शीघ्र राज्य सरकार को भिजवाया जाएगा।