व्यंजनो की सीमा को 21 तक सीमित करो
udaipur. जैन समाज के हर घर में होने वाले मांगलिक कार्यो में बनने वाले भोज में व्यंजनो की बढ़ती तादाद, उसमें होने वाली फिजूलखर्ची और पडऩे वाले झूठन से जैन समाज का हर परिवार परेशान था लेकिन उसे राह दिखाने वाला कोई नहीं था। ‘विजय’ जैन युवक परिषद के तत्वावधान में कल रात ओसवाल भवन में सकल जैन समाज की एक बैठक हुई।
इसमें जैन समाज के हर वर्ग,संगठन से करीब 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लेकर जैन समाज के हर परिवार में होने वाले मांगलिक कार्यो पर बनने वाले भोज में व्यंजनों की सीमा 21 तक रखने पर पुरजोर से सहमति व्यक्त की। कुछ ने तो यह सीमा भी बहुत अधिक बताई। परिषद के संरक्षक अनिल नाहर ने कहा कि देश में जैन समाज कीबुद्धिजीवी वर्ग के रूप में पहिचान है और आज यही वर्ग फिजूलखर्ची व अपव्यय में आगे है। किसी समय इसी समाज में बनने वाले भोज में बहुत कम व्यंजनो की सीमा के साथ आत्मीयता देखी जाती थी लेकिन आज वहीं व्यंजनों की सीमा बहुत आगे बढ़ चुकी हेै और आत्मीयता कहीं दूर तक दिखाई नहीं देती है। भोजन एंव उसमें व्यय होने वाले धन का बहुत दुरूपयोग हो रहा है। खाने के बाद शेष बचे भोज को नालियों में फेंक देते है। इस पर चिन्तन करना होगा। इस फिजूलखर्ची एंव अपव्यय पर परिषद द्वारा अब तक जैन समाज के 32 सौ परिवारों से संकल्प पत्र भरवाये जा चुके है।
राज्य के अलग-अलग शहरों भीलवाड़ा,चित्तौडग़ढ़, अजमेर, जयपुर, पाली, ब्यावर आदि स्थानों पर जैन समाज में बनने वाले व्यंजनो की सीमा निर्धारित की चुकी है। 23 जून को भामाशाह जयन्ती के अवसर पर आयोजित होने वाले भामाशाह सम्मान में 10 हजार से अधिक लोगों के भाग लेने की संभावना है। इस आयोजन में भी 21 व्यंजनों की मुहिम पर जोर दिया जाएगा।
एडवोकेट रोशनलाल जैन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में धनार्जन बहुत मुश्किल से हो रहा है और ऐसे में व्यंजनों पर जबरदस्त राशि व्यय करना मुर्खता है। 21 व्यंजन भी बहुत अधिक है। भोज में पडऩे वाले झूठन को भी रोका जाना चाहिए। जैन सोश्यल ग्रुप भामाशाह के अध्यक्ष गौतम सिरोया ने कहा कि व्यंजनो पर होने वाली फिजूलखर्ची एक ज्वलंत समस्या धारण कर चुकी है। भोजन निर्माण में प्रतिस्पर्धा की प्रवृित को हमें त्यागना होगा। संकल्प पत्र भरने के बाद उसका अनुसरण नहीं करने वालों के विरूद्ध कार्यवाही का प्रावधान होना चाहिए। अनिल कोठारी ने कहा कि भेाज में झूठन की बढ़ती प्रवृत्ति पर रोक लगायी जानी चाहिए। चातुर्मास के दौरान साधु-सन्तों की उपस्थिति में समाजजन को शपथ दिलायी जानी चाहिए।
गंभीरसिंह मेहता ने कहा कि यह समय की मांग है और बढ़ती मंहगाई के दौर में भोजन में बनने वाले व्यंजनो की सीमा को सीमित किया जाना चाहिए। संकल्प पत्र भरने वाले के घर में होने वाले मांगलिक कार्य में बनने वाले भोज में व्यंजनो की सीमा की उसे तीन दिन पूर्व याद दिलायी जानी चाहिए। विनोद भोजावत ने कहा कि जैन समाज के हर वर्ग की बैठक बुलाकर उसमें सभी समाजजन से सकंल्प पत्र भरवाये जाने चाहिए। सुभाष मेहता ने कहा कि भोज में काउन्टरों की सीमा को कम किया जाना चाहिए ताकि झूठन कम पड़े। आलोक पगारिया ने कहा कि जैन समाज की इस पीड़ा को विजय जैन युवक परिषद ने आगे लाने का प्रयास किया, जो सराहनीय है। व्यंजनो की सीमा को कम की करने की उदयपुर जैन समाज से श्ुारू हुई मुहिम शहर के हर समाज तक पहुंचेगी।
गौतम मुर्डिया बैठक में शामिल हुआ प्रत्येक समाजजन को यह संकल्प लेना चाहिए कि वह अधिक व्यंजन बनने वाले मांगलिक कार्यो में भाग न लें। पदाधिकारियों को कथनी व करनी में अन्तर नहीं रखना चाहिए। देश के महानगरों में भी बनने वाले भोज मेें व्यंजनों की सीमा निर्धारित की हुई लेकिन उदयपुर जैन समाज काफी पीछे है। बी.एल.चाावत ने कहा कि व्यंजनो की सीमा अधिक होने पर उसमें काम आने वाले प्लास्टिक से पर्यावरण को भी काफी नुकसान हो रहा है। इस पर भी विचार किया जाना चाहिए। जबरदस्ती से नहीं वरन् मन की जागृति से यह कार्य सफलता के शिखर पर पंहुचेगा। शंातिलाल नलवाया ने कहा कि आयोजकों को अपनी निमंत्रण पत्रिका में 21 व्यंजनों के साथ सूर्यास्त से पूर्व की भोजन की व्यवस्था है, छपवाना चाहिए।
पारस सिंघवी ने कहा कि जैन समाज में सामूहिक विवाह करने वाले पदाधिकारी के सदस्य तक उस आयोजन भाग नहीं लेते है। यह कथनी व करनी में अन्तर को प्रदर्शित करता है। समाज में भामाशाहों की कमी नहीं हे लेकिन उनके द्वारा दिये जाने वाले धन का सदुपयोग होना चाहिए। जैन समाज के हर वर्ग में इस मुहिम की प्रचार की आवश्यकता है। शहर का हर समाज हर दृष्टि से सम्बल होता जा रहा है और जैन समाज पिछड़ता जा रहा है। जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने कहा कि परिषद द्वारा पहल की गई मुहिम की जैन समाज पालना करेंगे तो निश्चित रूप से सफलता मिलेगी। शांतिलाल वेलावत ने कहा कि कम व्यंजन वाला भोजन व्यवस्थित सम्पन्न होता है। कमल कोठारी ने कहा कि अधिक व्यंजन वाला भोजन बेस्वाद बनता है। ओसवाल सभा के अध्यक्ष कन्हैयालाल मेहता ने कहा कि 21 व्यंजन से अधिक बनाने वालों के यंहा उनके रिश्तेदारों को भी नहीं जाना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाज गौरव किरणमल सावनसुखा ने कहा कि आज का दिन सकल जैन समाज के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। समाज में अब भी ऐसे बहुत से नियम बने हुए है जिन पर विचार किया जाना है। प्रारम्भ में परिषद अध्यक्ष राजेश खमेसरा ने स्वागत उद्बोधन दिया। सचिव राजेन्द्र जैन ने भी अपने विचार रखे। अंत में अजितसिंह गलुण्डिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया। बैठक का संचालन गुणवन्त वागेरचा ने किया।