Udaipur. शासन श्री मुनि रविन्द्र कुमार ने कहा कि पुण्य की इच्छा न करें। पुण्य के बजाय मोक्ष की इच्छा करे, पुण्य की इच्छा तो क्षण भंगुर हैं। जब तक कषाय रहते हैं तब तक संसार नही कटेगा। नाइयों की तलाई स्थित तेरापंथ भवन में पर्यूषण पर्व के छठें दिन जप दिवस पर वे श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जप दो शब्दों का वाक्य हैं ज-जल्दी-जल्दी, प- पढऩा, लेकिन इसका एक और अर्थ यह भी हैं कि ज-जग,प-पाप। जब जन्म-मरण व पापों का नाश होगा तभी असली मायने में जप कहलायेगा। जप करना भी साधना है। अक्षरों का नियोजन जप बन जाता हैं। जप एक साधना हैं। इसमें विवेक जरूरी हैं। बिना विवेक के तथा गलत उच्चारण से जप अमूल्यकारी बन जाता हैं। मंत्र मारक नहीं तारक होना चाहिये।
तपोमूर्ति मुनि पृथ्वीराज ने कहा कि भगवान महावीर ने साधना का मार्ग बताया हैं लेकिन अपने भीतर ऐसा यंत्र हैं जो यह सोचता है कि करुं या नहीं करुं। सोचता है कि यह जीवन-मरण कब तक चलता रहेगा। अगर जीव अपनी सोई हुई चेतना को जागृत कर ले तो यंत्र को काबू में कर सकता हैं। यह मन की चंचलता ही यंत्र हैं। आत्मदर्शन, आत्म साक्षात्कार, आत्म बल, शक्ति बल, निष्ठा बल, आगम बल, जप के प्रति निष्ठा जगाते हैं। सभा का संचालन मंत्री अर्जुन खोखावत ने किया।
सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि रविवार को ध्यान दिवस पर मुनिवृंदों के व्याख्यान होंगे तथा शाम को अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता होगी। इसका संयोजक कमल कर्णावट एवं ललित मेहता को बनाया गया है। फत्तावत ने बताया कि पर्यूषण काल नमस्कार महामंत्र का अखंड जप अनुष्ठान किया जा रहा है। शाम को सामूहिक प्रतिक्रमण के बाद विविध स्पर्धाओं में श्रावक-श्राविकाएं उत्साह से भाग ले रहे हैं।
तेरापंथ युवक परिषद् के अध्यक्ष धीरेन्द्र मेहता ने बताया कि पयुर्षण के दौरान चल रही सांयकलीन सांस्कृतिक गतिविधियों के तहत् शुक्रवार शाम को प्रायोजक राकेश, आशीष पोरवाल, पुष्पा कोठारी, कमल-मनोहर चौधरी एवं संयोजक दीपक सिंघवी एवं प्रणव कोठारी द्वारा क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें जैन समाज के 14 गु्रप ने हिस्सा लिया वही प्रतियोगिता में विजेता रहे पांच गु्रप के प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को पुरस्कृत किया गया।