कृष्णा महिला टीचर्स ट्रेनिंग एवं सुविवि के तत्वावधान में होगा आयोजन
Udaipur. कृष्णा महिला टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज एवं सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में 13-14 सितंबर को शिक्षक शिक्षा में नवाचार विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। सीसारमा स्थित होटल देवी पैलेस में होने वाले सेमिनार में आईसीएसएसआर का भी आर्थिक सहयोग मिला है।
कॉलेज के प्राचार्य अश्विनी कुमार गौड़ ने आज पत्रकार वार्ता में बताया कि सेमिनार का उद्घाटन 13 सितंबर को सुबह 11 बजे मुख्य अतिथि सुविवि के कुलपति प्रो. आई. वी. त्रिवेदी करेंगे। विशिष्ट अतिथि के रूप में आईसीएसएसआर के उपनिदेशक डॉ. हरीश शर्मा मौजूद रहेंगे। मुख्य वक्ता के रूप में जोधपुर के विषय विशेषज्ञ डॉ. ए. बी. फाटक भाग लेंगे। अध्यक्षता शिक्षा संकाय के चेयरमैन प्रो. कैलाश सोडाणी करेंगे। दोनों दिन कुल चार तकनीकी सत्र होंगे। सेमिनार में पहले दिन तकनीकी और वैज्ञानिक पहलू तथा राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक पहलुओं पर चर्चा होगी। दूसरे दिन शिक्षक शिक्षा से सामाजिक बदलाव एवं स्थानीय मुद्दों के साथ मिलकर सामाजिक पहलुओं पर चर्चा होगी। उन्होंने बताया कि इसमें कुल 53 पेपर पढ़े जाएंगे। इसमें देश भर के मेरठ, दिल्ली , भोपाल, मंदसौर, अजमेर, जयपुर, जोधपुर, गुजरात सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के करीब 140 से अधिक संभागी भाग ले रहे हैं। सेमिनार में करीब 5 राज्यों के 9 विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
कॉलेज के एमडी हितेश गौड़ ने बताया कि जैसा कि सभी जानते हैं समाज के हर क्षेत्र में हर व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाने में अध्यापक का महत्वपूर्ण योगदान है। अध्यापक सिर्फ ज्ञान का संवाहक नहीं है बल्कि स्वयं भी सीखता ही रहता है। वह संस्कृति और नीतियों को खुद उपयोग में लाकर सिखाता है। अगर आज सामाजिक बदलाव का महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा है तो शिक्षक उस बदलाव को लाने वाला माध्यम, एक सामाजिक इंजीनियर या भविष्य के समाज का आर्किटेक्ट है। अध्यापक का कार्यक्षेत्र सिर्फ क्लास रुम तक ही सीमित नहीं है बल्कि वह समाज में सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव लाने का वाहक भी है। आज के माहौल में बाहरी और आंतरिक दबाव के कारण अध्यापक के लिए यह बहुत मुश्किल होता जा रहा है। समाज में आज प्राथमिक शिक्षा जैसे सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दे जैसे वैश्वीकरण, सूचना प्रौद्योगिकी आदि की जरूरत है। ये सेमिनार इन्हीं सब के जवाब ढूंढने में एक मील का पत्थर साबित होगा, ऐसा हमें विश्वास है।